परवेज अख्तर/सिवान: जिले के हसनपुरा प्रखंड में शुक्रवार को यानी दस मुहर्रम के मौके पर योमे आशूरा मनाया जाएगा। इस बार कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मनाया जाएगा। इस्लाम मजहब में मुहर्रम को गम का महीना माना जाता रहा है। क्योंकि इसी महीने में इराक के कर्बला नामक जगह पर यजीद की लाखों फौज ने इमाम हुसैन अ.स. और उनके साथ 72 असहाबों को कत्ल कर शहीद कर दिया गया था। इसके पहले तीन दिनों तक नहर पर कब्जा कर पानी पीने पर भी रोक लगा दिया गया था।
दसवें मुहर्रम को उनकी कुर्बानी पर योमे आशूरा मनाया जाता रहा है। वहीं बताया गया है कि इस्लाम अगर जिंदा है तो सिर्फ हुसैन व उनके 72 असहाबों की कुर्बानी पर। इसलिए मुस्लिमों में यह बात जरूर सामने आता है कि इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद। वहीं यह पर्व खासकर के शिया मुसलमान हुसैन की याद में मजलिस मातम करके उन दिनों को याद करते हैं। हजरत इमाम हुसैन इस्लाम के पैंगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे थे। उन्होंने इस्लाम के साथ साथ मानवता की रक्षा के लिए अपनी व अपने परिवार के साथ दोस्तों की कुर्बानी दे दी।