गोपालगंज: नेपाल का विकास गोपालगंज सहित उत्तर बिहार के बड़े इलाके के लिए गंडक में फ्लैश फ्लड आने का सबब बन रहा है। गंडक नदी नेपाल की हिमालय पर्वतमाला से वहां के भैरवा जिले में त्रिवेणी नामक कस्बे के समीप मैदान में उतरती है। इसका उद्गम स्थान 7,620 मीटर की ऊंचाई पर धौलागिरि पहाड़ पर है। एक दशक पूर्व तक इस नदी के पानी का नेपाल के पहाड़ी इलाके में बड़ा वितरण क्षेत्र हुआ करता था। लेकिन, पिछले सात-आठ वर्षों में नेपाल के इसके जलवितरण इलाके में विकास व शहरीकरण तेज हुआ है। तेजी से मकान बन रहे हैं। बड़ी-बड़ी सड़कें बन रही हैं। इस क्रम में लाखों पेड़ काटे जा चुके हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक करीब 16 सौ किलोमीटर में फैले चूड़िया पहाड़ के रेंज में अवैध पत्थर-बालू के उत्खनन व पेड़ों की कटाई से नदी के जल बहाव व वितरण इलाके का पूरा स्वरूप तेजी से बदल रहा है। इससे नेपाल में बारिश होने के साथ उत्तर बिहार की अपेक्षाकृत नीची भूमि पर पानी का तेज प्रवाह हो रहा है। बारिश होते ही नदी में फ्लैश फ्लड आ जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पहली बार इस वर्ष जून में ही 4 लाख 12 हजार क्यूसेक पानी गंडक में आ गया था। पिछले तीन महीने से नदी के घटते-बढ़ते जलस्तर के बीच छह जिलों में बाढ़ का कहर जारी है।
क्या है फ्लैश फ्लड
पहाड़ों में हुई बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ को फ्लैश फ्लड या आकस्मिक बाढ़ कहते हैं। मीलों दूर पहाड़ों पर ग्लेशियर के पिघलने से भी यह बाढ़ मैदानी इलाके में आती है। इसमें बड़ी मात्रा में नदी में पानी का बहाव होने लगता है।
गंडक की बाढ़ से इन जिलों में मच रही तबाही
पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सारण, मुजफ्फपुर व वैशाली जिले में गंडक की बाढ़ से तबाही व बर्बादी हो रही है। तटबंध मरम्मत व निर्माण सहित राहत व बचाव कार्य में सरकार को हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करना पड़ रहा है। बावजूद इसके जान-माल व फसलों की भारी क्षति हो रही है।
नेपाल में सिक्स लेन सहित बड़ी-बड़ी सड़कें बनने व पेड़ों की कटाई से पानी बिना रुके हुए तेजी से बिहार की ओर आ जा रहा है। इससे गंडक में फ्लश फ्लड की समस्या उत्पन्न हो रही है। नदी में गाद भरने की समस्या भी बढ़ी है।
-संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार सरकार
नेपाल के नवल परासी, चितवन व र्धांधग आदि के इलाके में शहरीकरण तेजी से हो रहा है। पुराने मकानों की जगह नए मकान बन रहे हैं। पेड़ों की कटाई हो रही है। चूड़िया पहाड़ रेंज में अवैध रूप पत्थर व बालू के उत्खनन से नदी के पानी का सीधा बहाव तराई व उत्तर बिहार के इलाके में होने लगा है। निश्चित रूप से आने वाले समय में बाढ़ की समस्या और विकराल रूप लेगी।