छपरा: करवा चौथ सुहाग,सुरक्षा और सेहत का प्रतीक है। इस बार यह 24 अक्टूबर को श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाएगा। देशभर में मनाए जाने वाले इस त्योहार पर इस बार लॉकडाउन नहीं होने के कारण नव विवाहित महिलाओं में क्रेज देखा जा रहा है और वे तैयारियों में भी जुट चुकी हैं। करवा चौथ का व्रत साजन, सेहत और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस व्रत का इंतजार सुहागिनें पूरे वर्ष करती हैं। पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को है। चतुर्थी की तिथि को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा का विधान है। इस दिन गणेश आरती और गणेश मंत्र का जाप करना शुभ माना गया है।
करवा चौथ की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ के व्रत के महत्व के बारे में बताया था। इसके बाद द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत विधि पूर्वक पूर्ण किया था। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से सुहागिन स्त्रियों का सुहाग सुरक्षित रहता है। इसके साथ दांपत्य जीवन में सुख शांति बनी रहती है।
करवा चौथ की थाली
करवा चौथ की थाली को महत्वपूर्ण माना गया है। करवा चौथ की थाली को पंच मेवा, घर के बने पकवान, सुहाग का सामान आदि से सजाया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय पंचांग के अनुसार रात्रि 08 बजकर 07 मिनट है। करवा चौथ को दांपत्य जीवन में खुशियां भरने वाला त्योहार कहा जाता है। सुहागिनें सुहाग को दीर्घायु रखने के लिए बिना अन्न और जल के रहेंगी। चांद निकलने पर पूजा कर व्रत का पारणा करेंगी।
सेहत : व्रत करने से स्वस्थ रहा जा सकता है
महापुरुषों द्वारा कहा गया है कि अगर व्यक्ति जीवन में व्रत को धारण कर ले तो वो जीवन भर स्वस्थ रहता है। विज्ञान में भी ऐसा कहा गया है कि इंसान सप्ताह में एक दिन व्रत का पालन करे तो ना केवल उसकी पाचन शक्ति मजबूत होती हैए बल्कि व्यक्ति अंदर से भी मजबूत होता है। ऐसा ही व्रत है करवा चौथ, जो सुहागिनों द्वारा किया जाता है। यह उनकी सेहत को भी मजबूत रखता है।
सुरक्षा : धन-धान्य की भी कामना
कोरोनाकाल में कई परिवारों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई तो कइयों की जॉब चली गई। हालांकि अब परिस्थितियों में परिवर्तन होने लगा है। यही कारण है कि साजन पर केंद्रित रहने वाले इस त्योहार पर महिलाएं अपने पति की नौकरी और परिवार की आर्थिक स्थिति की मजबूती की कामना करेंगी।