- शहर समेत प्रखंड के बाजार में उतरे छोटे मंदिर, मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति, रंगोली, कैंडिल व घरौंदा
- मिट्टी बर्तन बनाने में जुटे कुम्हार, मोमबत्ती निर्माण में तेजी
- मिट्टी के दिया-दिअरी व बर्तनों की मांग लगातार बनी हुई है
परवेज अख्तर/सिवान: दीपावली करीब आने के साथ ही शहर के साथ ही प्रखंड के बाजार सजने लगे हैं। इस बार लोगों में स्थानीय स्तर पर बने सामान की खरीदारी को लेकर अधिक उत्सुकता देखी जा रही है। बाजार में मिट्टी के दिए, छोटे-छोटे मंदिर, मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति, फैंसी दिए व रंगोली की दुकानें सजने लगी है। वहीं दुकानदारों का कहना है कि जल्द ही बाजार में कैंडिल व घरौंदा भी बिक्री के लिए उतर जायेंगे। घर-आंगन को जगमग करने के लिए स्थानीय स्तर पर मोमबत्ती बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। शहर के शांतिवट वृक्ष, तेलहट्टा, बनिया टोली व अड्डा नंबर दो के पास मोमबत्तियां बनाई जा रही है। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मोम का दाम 50 फीसदी अधिक होने से मोमबत्ती उद्योग भी प्रभावित हुआ है। इधर, दीपावली नजदीक आने के साथ ही कुम्हारों के चाक भी घूमने लगे हैं। बड़ी संख्या में कुम्हारों ने मिट्टी के दिए बनाने शुरू कर दिए हैं।
मिट्टी के दिए व छठ पर्व के लिए मिट्टी के बर्तन बनाने में बच्चे भी अपने माता-पिता का सहयोग कर रहे हैं। कोई मिट्टी गूथने में लगा है तो कोई चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहा है। शहर के फतेहपुर बाईपास में विकास पंडित, महेन्द्र पंडित, सतन पंडित, सुरेन्द्र पंडित, लक्ष्मण पंडित, रामा पंडित व पहाड़ी पंडित समेत कुम्हारों के कई परिवार दीपावली व छठ में उपयोग होने वाले मिट्टी के बर्तन बनाने में जुट गए हैं। मिट्टी की दिअरी व दिया के साथ ही पचकुल्हिया, चाक, कड़ाही, चूल्हा, धूपदानी, भोंपू व ढिबरी समेत मिट्टी के अन्य सामान बना रहे हैं। विकास पंडित ने बताया कि एक-एक लाख दिअरी सभी ने बनाई है। दो से तीन हजार दिया के अलावा चार से पांच सौ चूल्हा, पचकुल्हिया व खिलौना चार से पांच सौ तैयार हो रहे हैं। स्थानीय बाजार के अलावा गोपालगंज व मीरगंज भी मिट्टी के सामान ऑर्डर मिलने पर भेजे जाते हैं। बताया कि कोरोना का बाजार में कोई प्रभाव नहीं है। मिट्टी के दिया-दिअरी व बर्तनों की मांग लगातार बनी हुई है। इधर, शहर के मेहिया कुम्हार टोली, मखदुम सराय व जयप्रकाश नगर में कुम्हार दीपावली को लेकर मिट्टी के गणेश-लक्ष्मी, दिया-दिअरी व खिलौने बनाने में जुटे हैं।