- सिवान के जदयू सांसद श्रीमती कविता सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह स्वागतयोग्य कदम है।
- केके पाठक जब गोपालगंज के थे डीएम,तब इनका जलवा दिखा था खूब
✍️परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
तेजतर्रार और कड़क IAS अधिकारी केके पाठक को मद्य निषेध विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी पर समीक्षा बैठक के अगले दिन उनके नाम पर मुहर लगा दी। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद उन्हें मद्य निषेध विभाग की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। लेकिन इसके साथ ही सियासत भी शुरू हो गई है।विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल खड़े किए हैं तो सत्ता पक्ष इसका स्वागत कर रहा है।कांग्रेस और राजद ने इसको लेकर सरकार पर तंज कसा है। कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि जिस अधिकारी को नीतीश कुमार वर्षों पहले हटा दिए थे, उन्हें फिर से लाना उनकी मजबूरी है या जरूरी है। या फिर असफल शराबबंदी का ठीकरा अधिकारी पर फोड़ना चाहते हैं।
वहीं राजद नेता विजय प्रकाश ने कहा कि जिस अधिकारी को असक्षम समझ कर उत्पाद विभाग से हटाया गया था,उन्हें फिर से सक्षम समझकर फिर से लाया गया है। उन्होंने पूछा है कि यदि वे सक्षम व्यक्ति तो किस कारण से हटाया गया। और यदि वे असक्षम थे तो फिर किस आधार पर वापस लाया गया।इधर सिवान के जदयू सांसद श्रीमती कविता सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह स्वागतयोग्य कदम है।इससे बतादें कि केके पाठक, 1990 बैच के आइएए अधिकारी हैं। ये उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं। ये केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे। अपने कड़क अंदाज के लिए प्रसिद्ध केके पाठक जब गोपालगंज के डीएम थे, तब इनका जलवा दिखा था।बताया जाता है कि उनकी वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के करीबियों को दिक्कत होने लगी। तब पाठक का तबादला सचिवालय कर दिया गया। इनके साथ कुछ विवादों का नाता भी जुड़ा था।