पटना: बिहार विधानसभा में तीसरे दिन प्रश्नकाल शुरू होने से पहले हंगामा हुआ। विपक्षी सदस्यों ने राजभवन में भ्रष्टाचार का आरोप लगा राज्यपाल को बर्खास्त करने की मांग की। विपक्षी विधायक बैनर-पोस्टर लेकर सदन पहुंचे थे। विस अध्यक्ष ने कहा कि राज्यपाल महामहिम हैं और वे इस विधायिका के अंग हैं। उन पर इस तरह के आरोप लगाना उचित नहीं। वहीं आज विस में सरकार की भारी फजीहत हो गई। यूं कहें कि भ्रष्टाचार के इश्यू पर नीतीश सरकार की नाक कट गई।
बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने सदन ने उठाया कि दरभंगा के आरईओ के अधीक्षक अभियंता पैसे के साथ अगस्त महीने में ही मुजफ्फरपुर पुलिस के हाथो पकड़े गये थे। उनके ठिकानों पर छापेमारी हुई और 67 लाख रू बरामद हुआ। फिर भी वे दो माह तक पद पर बने रहे। अधीक्षक अभियंता की ऊपर तक पहुंच थी। इसी वजह से कोई कार्रवाई नहीं की गई। जवाब देने ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री जयंत राज उठे। लेकिन उन्हें जवाब नहीं जुटा। मंत्री कहते रहे कि वे छुट्टी पर चले गये थे। अभियंता के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है। यह जवाब सुनते ही अध्यक्ष विजय सिन्हा भी चौंक गये। उन्होंने कहा कि आप तुरंत उस अधिकारी पर कार्रवाई करिये। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य इस इश्यू पर एक साथ हो गये। अध्यक्ष ने सदन के सदस्यों की भावना को अवगत कराते हुए नियमन दे दिया कि सदन की संयुक्त कमिटि पूरे मामले की जांच करेगी। तब जाकर सदन में हंगामा शांत हुआ।
वहीं मंगलवार को विस परिसर में दो विधायकों में गाली-गलौच पर अध्यक्ष ने सदन में कहा कि पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है। इससे हमारी प्रतिष्ठा गिरी है। इसलिए हम सब की जिम्मेदारी है कि लोकतंत्र की गरिमा को बरकरार रखें। बता दें, मंगलवार को राजद विधायक भाई वीरेन्द्र और भाजपा विधायक संजय सरावगी के बीच विवाद हुआ था। इसके बाद भाई वीरेन्द्र ने बीजेपी विधायक को अपशब्द बोले थे।