परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर शुक्रवार को दूसरे दिन भी बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों की हड़ताल जारी रही। निजीकरण के विरोध में बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों ने दूसरे दिन भी बैंकों में तालाबंदी की। दो दिनों के हड़ताल के कारण करीब 200 करोड़ रुपये का बैंक कारोबार प्रभावित हुआ। इस दौरान शहर के पटेल चौक स्थित सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के मुख्य गेट पर तथा बबुनिया मोड़ स्थित केनरा बैंक के मुख्य गेट पर एकजुट होकर बैंक कर्मियों ने 11वां वेतन पूरी तरह से लागू करने की मांग कर शहर में पैदल मार्च किया और प्रदर्शन कर केंद्र सरकार की इस नीति के खिलाफ नारेबाजी करते हुए नाराजगी जताई। बता दें कि यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन के तत्वाधान में बैंक निजीकरण के विरोध में कई संगठनों ने हड़ताल का आह्वान किया था, जिसका शुक्रवार को दूसरे दिन भी बड़ा असर दिखाई पड़ा। जिले में संचालित लगभग सभी बैंक शाखाएं बंद रहीं।
प्रदर्शन में शामिल बैंक के अधिकारियों व कर्मियों ने संयुक्त रूप से कहा कि कहा कि निजीकरण की आड़ में केंद्र सरकार अपने कुछ मित्रों को फायदा पहुंचाना चाहती है। सरकार निजीकरण की राह में आगे बढ़ रही है। वे लोग इसका विरोध कर रहे हैं। ये बैंक बचाव देश बचाव अभियान है। कहा कि बैंकों को निजी हाथों में सौंप कर सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाह रही है। निजीकरण से कार्यरत कर्मियों की नौकरी की कोई गारंटी नहीं रहेगी। बैंक को जो मालिक होगा उसी की मर्जी से सब तय होगा। हड़ताली बैंक कर्मियों ने यह उम्मीद जताई कि सरकार अपना निर्णय वापस लेगी। वहीं साथ ही ये भी कहा कि अगर मांगें नहीं मानी गई तो फिर बैंक कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे।
प्रदर्शन में शामिल केनरा बैंक के संजय कुमार श्रीवास्तव, फरीद हसन, योगेंद्र प्रसाद, विद्यापति, अमन कुमार, दिनेश यादव, दीपक कुमार, संजीव वर्मा, माधव प्रसाद, बैंक आफ बड़ौदा के विधान राम, राजू कुमार, एसबीआई के अली अब्बास खान, भरत चौधरी, दीनबंधु प्रसाद, डीसी अग्रवाल, अनिरुद्ध प्रसाद, बैंक आफ इंडिया की सोनम कुमारी, विनिता विक्टर ठाकुर, स्मिता कर्ण, माधवी सिंह, नेहा कुमारी, आयुषी कुमारी, मधु कुमारी, पूजा सिंह, आलोक कुमार सहित अन्य बैंक के अधिकारी व कर्मी शामिल रहे।