पटना: लघु जल संसाधन विभाग की एक निविदा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पकड़ने के बाद निगरानी ने सभी निर्माण विभागों को गाइडलाइन जारी की है। निविदा की समीक्षा में कुल 12 गड़बड़ियां पकड़ में आई थीं। निगरानी ने विभागों को कहा है कि वह इनकी पुनरावृत्ति न होने दें। लघु जल संसाधन विभाग की उस निविदा में अग्रधन की राशि का प्रकार नहीं लिखा गया था। समीक्षा में इसे चूक माना गया।
समीक्षा में पाया गया कि निविदा हासिल करने वाली एजेंसी ने डाकघर की सावधि जमा के प्रमाण पत्र जमा करने में अनियमितता की थी। इसे विभाग ने नजरअंदाज किया। तकनीकी मूल्यांकन के समय एजेंसी ने निविदा शर्त के अनुसार अग्रधन जमा नहीं किया था। फिर भी निविदा रद करने या दूसरी निविदा जारी करने के बदले एजेंसी को काम दे दिया गया। इसे लोक निर्माण विभाग की संहिता 161 के प्रविधान का उल्लंघन माना गया।
निगरानी के पत्र के मुताबिक किसी एजेंसी को निविदा देने से पहले उस पर परिवाद मंगाया जाता है। उसे दस्तावेज का हिस्सा बनाया जाता है। लेकिन, जिस निविदा की समीक्षा की गई, उसमें परिवाद तो मंगाया गया, उसे दस्तावेज में शामिल नहीं किया गया। हालांकि, समीक्षा में गड़बडिय़ों के बावजूद निगरानी ने उस एजेंसी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई की सिफारिश नहीं की है, जिसके मामले में गड़बड़ी पकड़ी गई थी।
निगरानी विभाग के अपर मुख्य सचिव की तरफ से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्पर्धा निविदा आमंत्रण सूचना में ऑफलाइन मोड में निविदा प्रपत्र जमा किए जाने के क्रम में अग्रधन की राशि का प्रकार अंकित नहीं किया गया था.यह निविदा नियम का उल्लंघन है। निविदा में अग्रधन की राशि एक, दो, तीन वर्षीय डाकघर सावधि जमा के रूप में जमा करने का प्रावधान है, लेकिन इसे पालन नहीं किया गया. संवेदक द्वारा टेंडर शर्त के अनुरूप अग्रधन की राशि जमा नहीं किए जाने के बावजूद उनका भी वित्तीय बीड खोले जाने एवं तुलनात्मक विवरण को लेकर आवश्यक कार्रवाई के लिए अग्रसारित किया गया .यह निविदा शर्त का उल्लंघन है. इसके साथ ही अन्य बिंदुओं पर निगरानी विभाग ने निर्माण से जुड़े 14 विभागों को मेमो देकर सचेत किया है। विभाग ने कहा कि निविदा में आगे से इस तरीके की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।