- सिवान में चलानी बनाम देशिला की लड़ाई को लेकर अखाड़े का मैदान सज धज कर हुआ तैयार
- महागठबंधन से श्री विनोद जयसवाल का टिकट कंफर्म
- भाजपा के पूर्व सांसद श्री ओम प्रकाश यादव के बयान से राजनीतिक गलियारों में अब भी मचा है भूचाल
- सिवान के एनडीए गठबंधन के शीर्ष नेता दो भाग में बंटे
✍️परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
(7543814786)
सिवान में एमएलसी पद के चुनावी दंगल को लेकर पूरा ग्राउंड टॉस रूपी नामांकन के पहले हीं सज धज कर तैयार हो चुका है। यहां चुनावी दंगल के लिए सजी ग्राउंड में चलानी बनाम देशिला की लड़ाई सुनिश्चित मानी जा रही है। हालांकि सिवान के खेल ग्राउंड में इसके पूर्व की हुई रोमांचक लड़ाई में चलानी रूपी खिलाड़ी अपना भाग्य आजमा चुके हैं। लेकिन सिवान जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से चुने हुए जनप्रतिनिधियों का साथ उन्हें नहीं मिला।जिस कारण उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। यहां हम चलानी और देशिला में स्पष्टता जाहिर करते हुए बता दूं कि यह दोनों काल्पनिक नाम है। चलानी मतलब बाहरी उम्मीदवार व देशिला मतलब स्थानीय उम्मीदवार !
यहां बताते चलें कि चलानी बनाम देशिला उम्मीदवार के चुनावी दंगल में कूदने से कई तरह के चर्चाओं का बाजार गर्म है। यहां बताते चले कि सिवान में होने वाले एमएलसी पद के चुनाव के लिए महागठबंधन की ओर से पहले के चर्चित शराब माफिया श्री विनोद जयसवाल का टिकट कंफर्म कर दिया है। लेकिन एनडीए गठबंधन की ओर से पार्टी के आलाकमान ने अब तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। जानकार बताते हैं कि एनडीए गठबंधन के शीर्ष नेता जो सिवान में टिकट बंटवारे को लेकर दो भागों में बंट चुके हैं। एक तरफ जहां सूबे के मुखिया श्री नीतीश कुमार के करीबी कहे जाने वाले बड़हरिया से JDU के पूर्व विधायक श्री श्याम बहादुर सिंह के करीबी सह जिले के चर्चित समाजसेवी श्री रईस खान के लिए टिकट की दावेदारी का दावा ठोक दिए हैं। जबकि उधर एनडीए गठबंधन के भाजपा तथा JDU के कई सक्रिय नेता भी टिकट की होड़ में काफी प्रयासरत हैं।
उधर सिवान से JDU सांसद श्रीमती कविता सिंह के पति सह JDU के वरिष्ठ नेता श्री अजय सिंह का नाम भी सुर्खियों पर है। उधर जैसे हीं श्री अजय सिंह का नाम टिकट की होड़ में सामने आया तो सिवान से भाजपा के पूर्व सांसद श्री ओम प्रकाश यादव ने मीडिया के समक्ष एक बयान देकर राजनीतिक गलियारों में बीते दिनों भूचाल मचा दिए थे। हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सिवान से JDU के वरिष्ठ नेता श्री अजय सिंह टिकट की होड़ में है या नहीं ? उधर बीच में पूर्व एमएलसी श्री मनोज सिंह का नाम भी टिकट की होड़ में शामिल है। जानकार बताते हैं कि सिवान में एमएलसी चुनाव को लेकर प्रत्याशियों के आकलन में हो रही देरी तथा भाजपा एवं JDU खेमे में उफान सा मचा हुआ है। जिसको को लेकर पटना में बैठे शीर्ष नेताओं में गोपनीय रूप से मंथन लगातार जारी है।
अगर सिवान में टिकट बंटवारे को लेकर इसी तरह एनडीए गठबंधन के नेताओं में एक दूसरे पर कटाक्ष और मतभेद थमा नहीं तो अचानक एनडीए गठबंधन में आ रही दरार को लेकर सिवान को भाजपा के खाते में दिए जाने का अनुमान है! ऐसी संभावना पटना में बैठे जानकार व्यक्त कर रहे हैं। अब भाजपा के खाते में जाने के बाद यहां से टिकट की होड़ में प्रबल दावेदार कौन होते हैं यह तो समय बताएगा! उधर अपने आपको निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में घोषित कर चुनावी मैदान में उतरे सिवान जिले के चर्चित समाजसेवी श्री रईस खान का स्पष्ट रूप से कहना है कि मुझे ना भाजपा से बगावत है न जेडीयू से अदावत है। श्री रईस खान का कहना है कि मैं सिवान जिले के कोने कोने में हाल के दिनों में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चुने हुए जनप्रतिनिधियों के बदौलत एक स्नेही के रूप में उनका स्नेह और एक आशिक के रूप में उन सबों का मोहब्बत की भीख मांगने के लिए चुनावी मैदान में हूं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर JDU के आलाकमान द्वारा मुझे अपना प्रत्याशित घोषित किया जाता है तो मैं पार्टी के आलाकमान के सारे निर्देशों का पालन करते हुए अडिग रहूंगा।
वहीं दूसरी ओर चर्चित समाजसेवी रईस खान ने कहा कि अगर सिवान की सीट भाजपा के खाते में जाती है, तो मैं भाजपा का दामन थामने के लिए भी तैयार हूं। क्योंकि मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा, हम बुलबुले हैं इसकी, वो गुलसितां हमारा। उन्होंने अंत में कहा कि अगर दोनों घटक दलों ने मुझे स्वीकार नहीं किया तो वह भी मुझे कबूल है। मैं आम जनमानस के द्वारा मिल रहे लगातार प्यार, स्नेह व आशीर्वाद के बदौलत निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सघन दौरा कर रहा हूं। कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क होता है। मुझे काम पर विश्वास है, अगर चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अपार समर्थन मुझे मिला तो मैं दोनों धर्म के सभी सम्मानित जनप्रतिनिधियों को एक साथ मिलाकर चलने का काम करूंगा।
उल्लेखनीय हो कि इन दिनों क्षेत्रों में चर्चित समाजसेवी श्री रईस खान का लगातार सघन दौरा जारी है। जहां भी श्री रईस खान का काफिला पहुंच रहा है। वहां-वहां युवाओं की एक टोली सेल्फी लेने में मशगूल दिख रही है। यह कटु सत्य है कि समाज के लिए सेवा की भावना से उभरे श्री रईस खान का क्षेत्रों में लगातार लोकप्रियता बढ़ रही है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। कहां गया है कि “सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से” ठीक उसी प्रकार क्षेत्रों में उमड़ रही जनसलाब को देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कहीं ना कहीं समाजसेवी श्री रईस खान को लेकर लोगों में एक उमंग और विश्वास जगी हुई है।
उधर सिवान जिले के रघुनाथपुर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी श्री मनोज सिंह पर प्रकाश डाला जाए तो यह भी सिवान में फिलहाल एनडीए गठबंधन में आई अचानक दरार के बाद टिकट की होड़ में काफी प्रयासरत है। अब देखना है कि अगर सिवान की सीट भाजपा के खाते में जाती है तो वह टिकट लेने में कामयाब होते हैं या नहीं यह तो निर्णय उड़ रही हवाओं के झकोरे हीं कर सकते है! हालांकि जानकार बताते हैं कि इनकी भी अच्छी खासी पकड़ पटना के भाजपा के शीर्ष नेताओं में है। अगर हम महागठबंधन के फाइनल उम्मीदवार श्री विनोद जयसवाल पर प्रकाश डाले तो इनका भी दौरा सिवान जिले के कोने-कोने में लगातार जारी है। महागठबंधन के प्रत्याशी श्री विनोद जयसवाल जिले के कई अलग-अलग हिस्सों में भी हाल में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चुने हुए जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक भी कर चुके हैं।
बहर हाल चाहे जो हो पहले के हुए चुनाव तथा इस बार के होने जा रहे एमएलसी चुनाव में काफी भिन्नता होने का अनुमान लगाया जा रहा है। अगर हम चुनाव में एमवाई समीकरण की बात पर प्रकाश डाले तो सिवान में एमवाई समीकरण अब एक अनबुझ पहेली बनकर विलुप्त होते जा रही है। यहां के लोग अब सीधे तौर पर गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखने की बात करते हुए सभी धर्म को एक साथ मिलाकर चलने की बात करते हुए नजर आ रहे हैं। उल्लेखनीय हो कि इस बार का एमएलसी पद के लिए होने जा रहे चुनाव काफी दिलचस्प होगा। क्योंकि यहां जिस तरह सावन से भादो कम नहीं होता है। ठीक उसी प्रकार सभी प्रत्याशी अपने आप में एक मायने रख रहे हैं।