पटना: सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से करने पर जेडीयू-बीजेपी के बीच शुरू हुआ विवाद अब शराबबंदी पर आकर अटक गई है। गठबंधन में बड़े दल यानी भाजपा ने छोटे दल(जेडीयू) व सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को पानी-पानी कर दिया है। ऐसा करारा जवाब पिछले पांच सालों में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को बीजेपी की तरफ से नहीं मिली थी। इस बार सीधे-सीधे बीजेपी नेतृत्व ही जेडीयू व सीएम नीतीश से दो-दो हाथ करने को तैयार है। यूं कहें कि अपनो के वार से सुशासन की सरकार पानी-पानी हो गई है।
बिहार की सरकार में 74 विधायकों की हैसियत रखने वाली बीजेपी अब शराबबंदी पर आर-पार करने को तैयार है। बीजेपी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि सीएम नीतीश की शराबबंदी पूरी तरह से फेल हो चुकी है। ऐसे में इस कानून की समीक्षा होनी चाहिए। पिछले तीन दिनों में बिहार बीजेपी के अध्यक्ष ने जेडीयू नेताओं व सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। संजय जायसवाल ने तो यहां तक कह दिया कि जेडीयू के नेता मीडिया से बाहर निकल अपने पंचायत में चले जायें। जाकर पूछें कि शराबबंदी की क्या स्थिति है। तब उन्हें हकीकत की जानकारी हो जायेगी।
इसके बाद आज रविवार को बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फिर से सीएम नीतीश के सुशासन राज वाली शराबबंदी की ऐसी की तैसी कर दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालांदा में जहरीली शराब से 13 लोगों की मौत के बाद बीजेपी अध्यक्ष का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि प्रशासन पूरी तरह से शराब माफियाओं से मिला हुआ है।
संजय जायसवाल लिखते हैं कि नालंदा जिले में जहरीली शराब से 13 मौतें हो चुकी हैं। परसों मुझसे जहरीली शराब पर जदयू प्रवक्ता ने प्रश्न पूछा था। आज मेरा प्रश्न उस दल से है कि क्या इन 13 लोगों के पूरे परिवार को जेल भेजा जाएगा. क्योंकि अगर कोई जाकर उनके यहां संतवाना देता तो आपके लिए अपराध है। अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए . क्योंकि प्रशासन का काम जिला चलाना होता है ना कि जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों को अजीबोगरीब बीमारी से मरने का कारण बताना। यह साफ बताता है कि प्रशासन स्वयं शराब माफिया से मिला हुआ है और उनकी करतूतों को छुपाने का काम कर रहा है।