सिवान: बसंत पंचमी को पारंपरिक रूप से मनाई गई सरस्वती पूजा

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  • सार्वजनिक स्‍थलों पर पूजा की अनुमति नहीं दी गई थी
  • श्रद्धालु मां सरस्वती की पूजा-अर्चना में पूरे दिन लीन रहें

परवेज अख्तर/सिवान: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी यानी कि सरस्वती पूजा शानिवार को पारंपरिक रूप से मनाई गई। या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना, वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् की स्तुति की। इधर, सरस्वती पूजा को ले सुबह से ही लोगों में उत्‍साह दिख रहा था, विशेष कर छात्र-छात्राओं में। हालांकि इस बार कोरोना के कारण सार्वजनिक स्‍थलों पर पूजा की अनुमति नहीं दी गई थी। कोरोना की वजह से ही पूजा का रंग थोड़ा फीका रहा, बावजूद श्रद्धालु विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना में पूरे दिन लीन रहे। शहर के महावीरी सरस्वती बालिका विद्या मंदिर माधव नगर व आराध्या चित्रकला में सरस्वती पूजन में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विद्या की देवी की पूजा की गई

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। पूजा में बहनें व आचार्य समेत अभिभावक भी शामिल हुए, वहीं शहर के शुक्लटोली स्थित रविन्द्र विद्या निकेतन में आचार्य पंडित वरुण द्विवेदी की देख-रेख में बच्चों ने मां सरस्वती की पूजा की। छात्र-छात्राओं ने पूरे मनोयोग से देवी की पूजा कर विद्या प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। सरस्वती जी को बूंदिया, खीर व हलुआ का भोग लगाया गया। इधर, आराध्या चित्रकला में पूजनोत्सव के बाद परंपरा के अनुसार लड़कियों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाया। जिले के महाराजगंज प्रखंड के बलिया में आजाद नवयुवक पूजा समिति के पूजा-पंडाल में युवकों की टोली ने सरस्वती पूजा का आयोजन किया था। इसी तरह सिसवन के चैनपुर के दुर्गा चौक पर प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई। इधर शहर के विद्या भवन महिला कॉलेज में इंटर परीक्षा का केन्द्र होने से पूजा नहीं हुई।