पटना: राजनीतिक गलियारों में नीतीश कुमार को देश का अगला राष्ट्रपति बनाए जाने की चर्चा शुरू हो गई है. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई महीने में खत्म हो रहा है. और इसी बीच नीतीश कुमार की उम्मीदवारी को लेकर सियासी गलियारे में हलचल की खबर है. नीतीश कुमार को राष्ट्रपति बनाने की रणनीति पर उनके पुराने साथी प्रशांत किशोर ने काम करना शुरू किया है. पिछले दिनों प्रशांत किशोर दिल्ली में नीतीश से मुलाकात कर चुके हैं।
सूत्रों की मानें तो प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के दौरान उनके सामने इस प्रस्ताव को रखता है कि वह राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी पर सहमति दें. इसके समर्थन में दूसरे दलों के नेताओं से भी संपर्क साधा है. चर्चा है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ-साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी नेता शरद पवार से पीके ने इस मसले पर बातचीत की है. इतना ही नहीं आने वाले दिनों में प्रशांत किशोर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा से भी इस मामले पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से यूपी विधानसभा चुनाव के बाद राव की मुलाकात हो सकती है।
बता दें कि हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और प्रशांत किशोर की हैदराबाद में मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात के दौरान ही राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हुई थी. कहा जा रहा है कि इसी चर्चा के दौरान प्रशांत किशोर ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने का आइडिया दिया, जिसपर केसीआर तैयार हो गए।
नीतीश की सर्वमान्य छवि और लंबे राजनीतिक अनुभव को अब विपक्षी एकता के रूप में राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में पेश करने की तैयारी है. अगर नीतीश के नाम पर देश के गैर कांग्रेसी विपक्षी दल एकमत हो जाते हैं तो उस स्थिति में कांग्रेस को भी अपने पाले में लाया जा सकता है. साथ ही अगर सब नीतीश के अनुरूप रहा तो उस स्थिति एनडीए के सहयोगी के नाते जदयू की ओर से भाजपा को भी नीतीश का समर्थन करने का अनुरोध किया जा सकता है।
पिछले सप्ताह ही नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर ने दिल्ली में मुलाकात की थी. बाद में नीतीश ने कहा था कि उनके पीके से पुराने संबंध रहे हैं. हालांकि अब दोनों की हुई मुलाकात को राष्ट्रपति चुनाव से जोड़कर देखा जाने लगा है. वहीं पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा का परिणाम भी राष्ट्रपति पद में विपक्ष की रणनीति बनाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है. इस समय यूपी को छोड़कर शेष चारों राज्यों में भाजपा की सरकार है. 10 मार्च को चुनाव परिणाम के बाद अगर भाजपा पंजाब सहित पांचो राज्यों में वापसी करने में सफल रही तब तो विपक्ष को राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा झटका लगेगा. वहीं अगर भाजपा को सफलता नहीं मिली तो विपक्ष खासकर गैर कांग्रेसी दल नीतीश कुमार को राष्ट्रपति बनाने को लेकर बड़ी पहल कर सकते हैं।
उस स्थिति में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश के राष्ट्रपति बनने की ओर अग्रसित हो सकते हैं. उनके लिए प्रशांत किशोर और चन्द्रशेखर राव आने वाले दिनों में देश के गैर कांग्रेसी दलों को एकजुट करने के लिए और ज्यादा सक्रिय नजर आ सकते हैं. साथ ही नीतीश कुमार के लिए सोनिया-राहुल गांधी से भी समर्थन करने की बात की जा सकती है।