पटना: कोरोना महामारी एक बार फिर से पैर पसार रही है. एशिया और यूरोप के कुछ देशों में कोविड -19 मामलों में आई तेजी से चिंता बढ़ गई है. विशेषज्ञों के अनुसार, हालात हर जगह और देशों में अलग-अलग होते हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में आई तेजी का कारण ज्यादातर ओमिक्रॉन वेरिएंट और ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट BA.2 है. इसके अलावा कोविड-19 प्रतिबंधों में तेजी से ढील देने की वजह से भी इस वायरस का संक्रमण फिर तेजी से फैला है।
भारत में कोरोना तीसरी लहर के दौरान गंभीर परिणाम देखने को नहीं मिले, क्योंकि 2021 में आई दूसरी लहर के बाद तेजी से हुए वैक्सीनेशन और मजबूत इम्युनिटी के कारण ऐसा संभव हो सका. हालांकि देश के महामारी विशेषज्ञ लगातार इस वायरस पर नजर बनाए हुए हैं और जिनोम सिक्वेंसिंग के जरिए इसके नए वेरिएंट्स को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं।
यूके और जर्मनी में ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट BA.2 के कारण संक्रमण के नए मामलों में वृद्धि हो रही है. BA.2 50% से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है और ब्रिटेन और चीन के साथ-साथ यूरोप के अन्य हिस्सों में भी इस वेरिएंट से जुड़े मामले बढ़ रहे हैं।
अमेरिका में बाइडेन प्रशासन में कोविड रिस्पॉन्स एफर्ट के पूर्व वरिष्ठ सलाहकार एंडी स्लाविट के अनुसार, जबकि अमेरिका में मामले अभी भी कम हैं, लेकिन दो बातें चीजें गौर करने लायक हैं. केवल 10% मामले BA.2 के हैं और चूंकि BA.2 ओमाइक्रोन की तुलना में लगभग 30% तेजी से फैलता है, इसलिए उम्मीद है कि यहां भी यूरोप जैसे हालात होंगे. चीन के शेनझेन में हेल्थ अफसर ने चेतावनी दी है कि BA.2 स्ट्रेन अत्याधिक संक्रामक है और जल्दी से फैलता है।
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ श्रीनाथ रेड्डी के अनुसार, जीरो कोविड पॉलिसी अपनाने के बाद भी यह वायरस किसी ना किसी मोड़ पर लोगों को संक्रमित कर सकता है. उदाहरण के तौर पर चीन ने कोरोना के मामलों पर नियंत्रण पाने के लिए लगातार सख्त लॉकडाउन लगाए लेकिन फिर भी संक्रमण नहीं रुका।