परवेज अख्तर/सिवान: रमजान बहुत ही अहम महीना है। इसकी फजीलत बयान करते हुए बड़हरिया मदरसा के मौलाना अकील खान मिस्बाही ने कहा कि रामजान इबादत का भी महीना है। जिसमें जहन्नुम का दरवाजा बंद कर दिया जाता है और जन्नत का दरवाजा खुला रहता है। इस माह में शैतान जंजीरों में जकड़ कर कैद कर दिया जाता है। इस महीने का तीन अशरा है- पहला रहमत, दूसरा मगफेरत व तीसरा जहन्नुम से आजादी का है। इस महीने में नेकियों का सवाब बढ़ जाता है। फर्ज का सवाब सत्तर फर्ज के बराबर और नफल का सवाब फर्ज के बराबर मिलता है।
रोजे से जिस्मानी और रूहानी दोनों फायदा है। रोजा रखने से जिस्मानी बीमारी से बचाव होता है और जहन्नुम की आग के लिए ढाल है। उन्होंने कहा कि जब इंसान रोजा रखकर नमाज अदा कर अपने गुनाहों से माफी मांगता है तो अल्लाह उसके गुनाहों को माफ कर देता है। रोजा तमाम बुराइयों को रोकता है। रोजा नेक बनाने के साथ-साथ दीन पर चलने का संदेश देता है। रामजान में दिन और रात सभी इबादत हैं। रामजान में रोजा रहकर गरीब, असहाय लोगों को मदद करनी चाहिए।