पटनाः बिहार में जातीय जनगणना कराने को लेकर बवाल मचा है. एक तरफ केंद्र की सरकार मना कर चुकी है तो दूसरी ओर बिहार में विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर सवाल कर रहा है. केंद्र से मना होने के बाद यह आरोप लगता रहा है कि बीजेपी नहीं चाहती है कि जातीय जनगणना हो. वहीं, बीते सोमवार को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसको लेकर कहा कि जल्द ही ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई जाएगी. ऐसे में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने पार्टी पर लग रहे आरोपों को लेकर मंगलवांर को जवाब दिया है.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा है कि वो जातीय जनगणना के विरोध में है. उन्होंने कहा- “मैं आपको याद कराना चाहूंगा कि बिहार विधानसभा और विधान परिषद से दो-दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ. इन दोनों बार में भारतीय जनता पार्टी साथ थी. अगर हम इसके विरोध में होते तो प्रस्ताव पेश किया जा रहा था तो उसमें हम शामिल क्यों होते?”
“विरोध में होते तो डेलिगेशन में शामिल क्यों होते?”
उन्होंने आगे कहा कि झारखंड विधानसभा ने भी सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया जिसमें भारतीय जनता पार्टी शामिल थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जब ऑल पार्टी डेलिगेशन मीटिंग के लिए गया तो हमने अपनी सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री जनक राम को शामिल किया. डेलिगेशन की मांग थी कि बिहार के अंदर जातीय जनगणना कराई जाए. सवालिया लहजे सुशील मोदी ने कहा कि अगर विरोध में होते तो उस डेलिगेशन में क्यों शामिल होते?
झारखंड सरकार की ओर से भी एक डेलिगेशन गया था जिसमें कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश भी शामिल थे. इन दोनों डेलिगेशन की मांग थी कि जातीय जनगणना कराई जाए. हालांकि जब केंद्र ने ये स्पष्ट कर दिया कि केंद्र के लिए यह कराना संभव नहीं है तो राज्य सरकार स्वतंत्र है. तो हम कभी भी जातीय जनगणना के विरोध में नहीं रहे हैं.
यह बेबुनियाद और भ्रामक: सुशील कुमार मोदी
बीजेपी नेता ने कहा कि 2010 में लोकसभा में जब सामाजिक, आर्थिक, जाति, जनगणना को लेकर बहस हुई तो गोपीनाथ मुंडे और हुकुम देव यादव ने इन दोनों ने समर्थन में बयान दिया था. बीजेपी ने कभी विरोध नहीं किया था. यहां तक कि कर्नाटक और तेलंगाना में जब जातीय जनगणना हुई तो बीजेपी ने विरोध नहीं किया. तेलंगाना में भी 2015 के अंदर कांग्रेस सरकार द्वारा गणना हुई थी. इसलिए ये बेबुनियाद है और भ्रामक है. हां ये बात है कि केंद्र सरकार के लिए ये संभव नहीं है. राज्य सरकार कराना चाहे तो स्वतंत्र है.