- अब तक 45 से अधिक बच्चों को मिला जीवनदान
- अहमदाबाद के अस्पताल में की जाती है सर्जरी
- आरबीएसके की टीम फील्ड स्तर पर करती है बच्चों की पहचान
छपरा: मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना सात निश्चय पार्ट-2 में शामिल बाल हृदय योजना से दिल में छेद वाले बच्चों की धड़कनों को मजबूती मिल रही है। सारण जिले में अब तक इस योजना के तहत 45 से अधिक बच्चों का सफल इलाज किया गया है। दिल में छेद की सर्जरी अहमदाबाद के श्री सत्य सांई हॉस्पिटल में की गयी है। बाल हृदय योजना के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम जिले के विभिन्न स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की स्क्रीनिंग कर दिल में छेद से ग्रसित बच्चों को चिह्नित करती है । इसके बाद एम्बुलेंस से बच्चों को इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान, पटना में भेजकर स्क्रीनिंग करायी जाती है। स्कीनिंग में चिह्नित बच्चों के दिल का ऑपरेशन अहमदाबाद के सत्य साईं हॉस्पिटल में निःशुल्क कराया जाता है। बच्चे के साथ एक अटेंडेंट भी हवाई यात्रा कर अहमदाबाद जाते हैं । रहने खाने, चिकित्सकीय प्रबंधन, दवा की व्यवस्था निःशुल्क दी जाती है।
अंजुम का ऑपरेशन कराना पिता के लिए था मुश्किल:
दो वर्ष पूर्व कोरोना संक्रमण को रोकने लिए लॉकडाउन लगाया गया गया था। हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क था। तभी एक दिन सारण जिले के गड़खा प्रखंड के रघोपुर गांव निवासी इशतियाक खान की पुत्री अंजुम को सीने में दर्द हुआ। उसके परिजन उसे नजदीक के एक प्राइवेट अस्पताल में ले गये। उस डॉक्टर ने उसे पटना रेफर कर दिया। अंजुम के पिता उसे पटना लेकर गये। वहां डॉक्टर ने बताया कि अंजुम के दिल में छेद है।
उसका ऑपरेशन करना पड़ेगा। इसके लिए 3 से 4 लाख रुपये खर्च आयेगा। अंजुम के पिता इष्तियाक खान चिकेन की दुकान चलाते हैं । उनके लिए खर्च उठाना संभव नहीं था। तभी गांव के एक युवक ने बताया कि सरकार के द्वारा बाल हृदय योजना की शुरुआत की गयी है। इस योजना के तहत अंजुम का इलाज हो जायेगा। तब उसके परिजन उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे और उसकी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उसे सर्जरी के लिए अहमदाबाद भेजा गया। इस दौरान घर से अस्पताल लाने, अस्पताल से घर ले जाने के लिए नि:शुल्क एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध करायी गयी।
केस स्टडी- 2
रागनी दिल में था छेद, अब पूरी तरह से स्वस्थ:
सारण जिले के गड़खा प्रखंड के कुचाह गांव निवासी भीषम राय की पुत्री रागिनी कुमारी भी सामान्य बच्चों की तरह अपने आंगन में खिलखिला रही थी। खेल रही थी। माता-पिता भी अपनी बिटिया को हंसते खिलखिलाते देख प्रसन्न थे। दो वर्ष पूर्व रागिनी के जीवन में एक ऐसा समय आया और उसका स्वास्थ्य काली स्याही की तरह हो गया। एक दिन उसका तबीयत खराब हुई । उसकी माँ उसे गड़खा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले गयी। जहां पर डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि उसके दिल में छेद है। रागिनी की माँ को बाल हृदय योजना की जानकारी दी गयी। लेकिन वह ठीक से समझ नहीं पायी फिर वह एक निजी अस्पताल में ले गयी जहां उसे बताया गया कि उसकी बच्ची के दिल में छेद है। ऑपरेशन करना पड़ेगा। ऑपरेशन का खर्चा सात लाख के करीब है।
मजूदरी कर अपने परिवार का गुजर बसर करने वाले पिता के लिए यह खर्च उठाना मुश्किल हीं नहीं बल्कि नामुमकिन था। फिर उसे सदर अस्पताल ले जाया गया जहां पर बाल हृदय योजना के तहत उसका रजिस्ट्रेशन किया गया और प्रक्रिया के तहत स्क्रीनिंग के लिए आईजीआईएमएस पटना भेजा गया जहां सभी जांच के बाद ऑपरेशन की तारिख तय की गयी। फिर उसे ऑपरेशन के लिए अहमदाबाद के श्री सत्य साई अस्पताल, अहमदाबाद भेजा गया और उसका सफल ऑपरेशन हुआ।अब रागिनी कुमारी पूरी तरह से स्वस्थ है। उसके आंगन में फिर से वह खुशियां लौट आयी है, जो दो वर्ष पूर्व खत्म हो चुकी थी। रागिनी के पिता भीषम राय दूसरे प्रदेश में कंपनी में मजदूरी करते हैं । वह मुश्किल से 8 हजार की महीने कमाते हैं । उनके लिए ऑपरेशन खर्च उठाना काफी मुश्किल था।