छपरा: मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत सभी लोगों को घर पर ही शुद्ध जल पहुंचाने का सरकारी दावा फ्लॉप साबित हो रहा है. सरकार हर घर नल का जल योजना के तहत जहां हर व्यक्ति को शुद्ध पेयजल पहुंचाने के प्रयास में लगी है,वहीं नव गठित नगर पंचायत के miyaa पट्टी स्थित पानी टंकी में आई तकनीकी खराबी के कारण उसके पाइप लाइन से कीड़ा युक्त गन्दा पानी टपक रहा है. पीएचईडी की सरकारी टोटियों से दूषित पानी आ रहा है. यह पानी पीने के लायक नहीं है. ऐसे में नगर पंचयात के लोग चापाकल या अन्य स्त्रोतों से पानी ले रहे हैं.
लोग शिकायत करते करते थक गये लेकिन विभाग व संबंधित जिम्मेदारों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा. नतीजतन लोगों में नाराजगी है. मियां पट्टी स्थित पानी टंकी से मियां पट्टी, दक्षिण टोला तथा मेंहदीगंज के अधिकांश नगरवासियों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाती है. इधर पिछले एक सप्ताह से उक्त टंकी के माध्यम से की जा रही सप्लाई से उपभोक्ताओं के नल से गंदा व कीड़ा युक्त पानी टपक रहा है.
पानी में रेत और मिट्टी युक्त होने की वजह से लोग उसे पीना तो दूर नहाने और कपड़े धुलाई करने से भी बच रहे हैं. कुछ लोग चापाकल का सहारा ले रहे हैं तो कुछ को सरकारी हैंडपंप से पानी भरना पड़ रहा है. टोटी से अब आयरन युक्त गंदा पानी निकल रहा है. पानी में आयरन की मात्रा इतनी अधिक है कि पानी भरने का बर्तन तक पीला हो जा रहा है. वहीं जहां पर पानी भरा जाता है, टोटी का वह स्थान भी पीला हो चुका है. बताते चलें कि सप्लाई का पानी पीने लायक है कि नहीं इसकी जांच की जिम्मेदारी पीएचईडी विभाग की है.
इस विभाग के अधिकारियों द्वारा नल के पानी की जांच का दावा किया जाता है, पर यह नहीं बताया जाता कि कितने जगह में किस प्रकार का पानी निकल रहा है और उसका उपयोग किया जाना चाहिए कि नहीं. स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि कई बार तो घंटों तक पानी ही नहीं आता है. यदि पीने का पानी दूषित है तो वह स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है. ऐसे में पीने का पानी शुद्ध होना जरूरी है. साथ ही भोजन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पानी भी साफ होना चाहिए.
निवर्तमान मुखिया प्रतिनिधि राहुल गुप्ता ने बताया कि टंकी से गन्दे पानी की आपूर्ति किये जाने की शिकायत सम्बंधित जेई धर्मपाल बैठा से की गई पर तकनीकी गड़बड़ी दूर करने की दिशा में उनकी ओर से अबतक कोई ठोस प्रयास नही किया जा सका है. नलों से गन्दा जल टपकने के कारण इस क्षेत्र के लोग पानी के लिए आस पास के चापाकलों का सहारा लेने को मजबूर हो रहे हैं.