परवेज अख्तर/सिवान: जीरादेई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 1927 में जीरादेई आगमन स्वतंत्रता संग्राम में मिल का पत्थर साबित हुआ। महात्मा गांधी तीन दिन प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डा. राजेंद्र प्रसाद के पैतृक आवास में ठहरे व 24 घंटे मौन व्रत पर रहे थे। जिस चौकी पर बैठ गांधीजी मौनव्रत रखा था वह आज भी यहां रखा है। उस पवित्र चौकी को परिवर्तन संस्था के संस्थापक संजीव कुमार सिंह ने पुरातत्व विभाग से आदेश निर्गत कराकर शीशा से घेराबंदी कराकर उस पर चादर बिछवा दिए हैं जो सुरक्षित व आकर्षण का केंद्र हो गया है।
विगत 10 वर्ष जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जीरादेई बाबू के आवास में आए थे तो उनको बैठने के लिए सोफे की व्यवस्था की गई थी पर उन्होंने सोफे छोड़कर इस चौकी पर ही बैठ पत्रकार वार्ता किया। देशरत्न के पैतृक संपत्ति के प्रबंधक 80 वर्षीय बच्चा सिंह ने बताया कि मेरे पिताजी कहते थे कि गांधीजी बाबू के घर रुके थे तथा सुबह- शाम प्रार्थना भी करते थे। उन्होंने बताया कि गांधीजी ने ग्रामीणों से बात कर साफ सफाई व स्वावलंबी बनने की शिक्षा दिए तथा राष्ट्रीय चेतना भरने का काम किए।