परवेज अख्तर/सिवान: म्यांमार में बंधक बनाए गए मैरवा के चार युवकों में से दो के स्वजनों द्वारा चार-चार लाख रुपया भेज कर उन्हे बंधक मुक्त कराने के बाद भी उनके स्वदेश लौटने के रास्ते मुश्किल दिख रहे हैं। सभी युवकों का वीजा फेल हो चुका है। वीजा की अवधि 10 दिन की थी जो समाप्त हो चुकी है। दोनों युवक बंधक मुक्त होने के बाद म्यांमार से थाईलैंड तो पहुंच गए, लेकिन वीजा के अभाव में वे भारत नहीं लौट पा रहे हैं दो वहीं फंसे हुए हैं। दो युवकों के स्वजन मांगी जा रही बड़ी रकम चुकाने में असमर्थ हैं। इस कारण म्यांमार में ही बंधक बने हुए हैं। चारों युवकों के स्वजन भारत सरकार और विदेश मंत्रालय की तरफ नजर टिकाए हुए हैं, लेकिन सरकार की तरफ से चारों युवकों को स्वदेश लाने की कोई पहल सामने नहीं आई है।
बता दें कि मैरवा थाना क्षेत्र के कोल्हुआ दरगाह के मोहम्मद शाहिद के पुत्र मोहम्मद वाहिद, मझौली रोड निवासी उधम सिंह के पुत्र रवि प्रताप सिंह, लालबाबू जायसवाल के पुत्र अविनाश कुमार तथा रुस्तम अली खान के पुत्र सोहेल खान मैरवा के एलियन टेक्निकल इंस्टीट्यूट के संचालक आबिद खान द्वारा थाईलैंड नौकरी के लिए भेजे गए थे, लेकिन मामला धोखाधड़ी के रूप में सामने आया। चारों युवकों को थाईलैंड से बंधक बनाकर म्यांमार जलमार्ग के द्वारा ले जाया गया। वहां उनसे साइबर क्राइम कराने की बात सामने आ रही है। इसकी जानकारी हुई तो सभी बेचैन हो गए। युवकों ने अपने स्वजनों को फोन कर बताया कि 24 घंटे में एक बार उन्हें भोजन दिया जा रहा है।
जब स्वजनों ने उन्हें बुलाने के लिए संपर्क किया और एजेंट पर दबाव बनाया तो उन्हें बताया गया कि प्रत्येक युवक के बदले चार लाख भुगतान करना होगा। इसके बाद रवि प्रताप और अविनाश कुमार के स्वजन ने उन्हें बंधक मुक्त कराने के लिए राशि भेज दी। इसके बाद दोनों बंधक मुक्त हो गए और वहां से थाईलैंड आ गए, लेकिन वीजा की तिथि समाप्त होने के कारण वह थाईलैंड में ही फंसे हुए हैं। उधर मोहम्मद वाहिद और सोहेल खान के स्वजन इतनी बड़ी राशि का भुगतान कर पाने में स्वयं को असमर्थ बता रहे हैं, जिसके कारण दोनों युवक अभी भी म्यांमार में ही बंधक बने हुए हैं।