परवेज अख्तर/सिवान : जिले के बड़हरिया थाना क्षेत्र के चैन छपरा गांव निवासी मो. नईम के पुत्र शेख नासिर अली उर्फ मन्नू अली ने सऊदी के जद्दा में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक शेख नासिर अली उर्फ मन्नु अली जो सऊदी अरब के जद्दा में ड्राइवर था। उसके विदेश गए करीब एक वर्ष हो गए थे। बता दें कि वह करीब 10 वर्षों से विदेश में नौकरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। उक्त घटना बीते 29 सितंबर की देर शाम चार बजे की बताई जा रही है। घटना के बाद से ही परिजनों में कोहराम मचा है। परिजनों को अब मो. नासिर के शव का इंतजार है। सऊदी से शव आने के बाद मिट्टी देने का काम किया जाएगा। इधर उसकी पत्नी मेहरून नेशा का रोते-रोते बुरा हाल है। उसकी पत्नी को क्या मालूम था कि मेरे पति मुझे ठुकरा कर जिंदगी के उस दहलीज पर ले जाकर खड़ा कर देंगे, जहां मेरी रिमझिम आंखों के आंसू ही सूख जाएंगे। उधर परिजनों के ह़ृदय विदारक चीत्कार से उपस्थित ग्रामीणों की आंखे नम होते जा रही थीं। लोग परिजनों को सांत्वना दे रहे थे। बता दें कि मो. नासिर के पिता भी पिछले दस वर्षों से विदेश में रहकर परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन इधर पिछले पांच वर्षों से यहां परिवार के साथ रह रहे हैं।
10 नवंबर को आने वाला था स्वदेश
मृतक शेख नासिर उर्फ मन्नू अली 10 नवंबर को अपने स्वदेश लौटने वाला था। उसकी छुट्टी कंपनी ने स्वीकार कर टिकट भी बनवा दिया था। मन्नू अली 10 वर्षों से विदेश में रहकर ड्राइवरी का काम करता था। लेकिन वह प्रत्येक वर्ष अपने स्वदेश आ जाता था। मन्नू अली चार भाईयों में सबसे प्यारा मृतक शेख नासिर अली उर्फ मन्नू अली चार भाइयों में सबसे प्यारा था। वह भाइयों में दूसरे नंबर का था। बड़ा भाई शेख निजामुद्दीन उर्फ सोनू अली,दूसरा नंबर मृतक मन्नू अली, तीसरा रज्जाक उर्फ टन्नू अली एवं सबसे छोटा मो. फिरदौस अली है। तीन भाइयों की शादी हो चुकी है। सबसे छोटा भाई मो. फिरदौस अली की शादी नहीं हुई है। मृतक की बहन तीन है जिसमें दो की शादी हो चुकी है। एक की शादी नहीं हुई है।
सुनी आंखों में है पापा का इंतजार
मन्नू अली को दो बेटे हैं। जिन्हें अभी यह भी ठीक से नहीं पता कि उसके पापा को क्या हुआ है। वे तो यह भी नहीं जानते कि सऊदी कहां है और उसके पिता की मौत किस कारण से हो गई है। बड़ा बेटा यासिन अली और छोटा बेटा यासिर को जैसे ही घर में अपने पिता के नाम की चर्चा सुनाई पड़ी है, वे बार बार अपने पापा के लिए बेचैन हो रहे थे। वहीं बेटी आफरीन खातून भी अपने पापा के इंतजार में बेताब है, लेकिन इन अबोध बच्चों को यह नहीं पता कि उनके पिता की मौत कैसे हुई है।