राजा सिंह महाविद्यालय: युवा वर्ग की शिक्षा व समग्र विकास में श्रीमद्भागवत गीता की प्रासंगिकता विषय पर कार्यशाला आयोजित

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✍️परवेज अख्तर/सीवान:
शहर के राजा सिंह महाविद्यालय में गुरुवार को युवा वर्ग की शिक्षा एवं समग्र विकास में श्रीमद्भागवत गीता की प्रासंगिकता विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। स्वामी प्रज्ञानंद व प्राचार्य डा. उदय शंकर पांडेय ने संयुक़्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर व शिक्षा की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि स्वामी प्रज्ञानंद ने छात्रों को दृढ़ संकल्प एवं लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहने की प्रेरणा दी। साथ ही कर्म को महत्व देते हुए उसे धर्म की छाया में करने की प्रेरणा दी। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में कर्म, ज्ञान एवं उपासना की जो शिक्षा दी थी। वह आज के युवाओं के लिए अत्यंत उपादेय हैं। प्रो. रविंद्र नाथ पाठक ने कहा कि गीता धर्म ग्रंथ मानकर पूजा स्थल पर रखने की वस्तु नहीं है, बल्कि बार बार पढ़ने, समझने और प्रेरणा लेने का ग्रंथ है।

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कहा कि आज के युवाओं के लिए गीता अत्यंत प्रासंगिक है। प्राचार्य डा. उदय शंकर पांडेय ने अध्यक्षता करते हुए गीता को गेय बताया। उन्होंने उसकी उपादेयता, श्रीकृष्ण के कर्म योग, भक्ति योग पर प्रकाश डाला। निस्वार्थ भाव से समान दृष्टि रखना कर्म के आगे संबंध को शिथिल करने की बात प्रो मनोज कुमार ने कही। प्रो. बोलेंद्र कुमार अगम ने श्रीमद्भागवत गीता से प्रतिदिन शिक्षा लेने की बात कही। प्रो. अरविंद कुमार यादव ने गीता को पूजनीय ही नहीं बल्कि अनुकरणीय ग्रंथ भी बताया। प्रो. इम्तियाज अहमद ने कहा कि यह एक जाति धर्म एवं संप्रदाय की पुस्तक नहीं है। यह मानवता का संविधान भी है। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. श्याम शंकर ने किया। कार्यशाला में छात्र-छात्राएं, शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित थे।

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