परवेज अख्तर/सिवान: जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित 15 दिवसीय प्रशिक्षण के आठवें दिन गुरुवार को उर्वरक अनुज्ञप्ति पर आधारित प्रशिक्षण में बीज प्रौद्योगिकी विभाग ढोली के सहायक प्राध्यापक डा. सुमित कुमार सिंह ने जैव उर्वरक विषय पर किसानों को प्रशिक्षण देते हुए कहा कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने एवं पौधों को नाइट्रोजन एवं अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता की आपूर्ति बढ़ाने के लिए उर्वरक का उपयोग लाभदायक है। उन्होंने अजोला, नील, हरितशैवाल के उत्पादन, उपयोग एवं फायदे के बारे में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने जैव उर्वरक जैसे राइजोबियम, एजोटोबेक्टर, पीएसबी, एजोस्पाइलींन इत्यादि के बारे में किसानों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जैव उर्वरक के विभिन्न प्रयोग विधि जैसे बीज उपचार विधि में 200 ग्राम जैव उर्वरक को 10 से 12 किलो ग्राम बीज उपचारित किया जा सकता है।
जड़ उपचार विधि में टमाटर, मिर्च, प्याज, फूलगोभी आदि के बिचरे इस विधि से उपचारित किए जाते हैं। इसमें एक किलो ग्राम कल्चर को पांच से 10 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार किया जाता है जो एक एकड़ की पौधों के लिए पर्याप्त है। बिचड़े की जड़ को कम से कम आधे घंटे उस घोल में डूबा कर रखते हैं फिर खेत में लगाते हैं। वहीं भूमि उपचार विधि बताते हुए कहा कि दो से पांच किलो ग्राम जीवाणु खाद को 40 से 60 किलो ग्राम महीन मिट्टी या कंपोस्ट के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। प्रशिक्षण में दीनानाथ सिंह, सविता कुमारी, मनीषा कुमारी, कृपानंद पांडेय, गणेश कुमार, आरिफ अली सहित कुल 40 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।