परवेज अख्तर/सिवान: जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों में गुरुवार को होने वाली बसंत पंचमी एवं सरस्वती पूजा की पूरी हो गई है। मां सरस्वती की पूजा को लेकर श्रद्धालु बुधवार को पूजन सामग्रियों की खरीदारी समेत पूजा पंडाल तथा मां सरस्वती की प्रतिमा की सजावट में पूरी रात जुटे रहे। पूजन सामग्री की खरीदारी को लेकर बाजारों में काफी चहल-पहल देखी गई। बच्चे पंडाल तथा प्रतिमा सजावट के लिए बाजारों में फूलपत्ती, मुकुट, वीणा आदि की खरीदारी करने पहुंचे थे, इस कारण बाजारों में भीड़ देखी गई। इसके अलावा बाजारों में पूजा सामग्री यथा फल, राशन आदि दुकानों पर सुबह से देर शाम लोग तक जमे रहे। वहीं बच्चे मूर्तिकारों के यहां से मां की प्रतिमाओं को विभिन्न साधनों से ले जाते देखे गए।
इसलिए होती है मां सरस्वती की पूजा :
आंदर के पड़ेजी निवासी आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि भगवती सरस्वती की उत्पत्ति माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को होने से हम सब भगवती सरस्वती के पूजन करते हैं। इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन भी माना जाता है, जिस कारण नाम बसंत पंचमी भी कहा जाता है। मां को कई नामों से अलंकृत किया जाता है यथा हंस वाहिनी, वीणा पुस्तक धारणी, कमल आसनी, पद्मासनी आदि। मां अपने भक्तों को सदा बुद्धि एवं विद्या देवी है। इससे समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सरस्वती पूजन का शुभ मुहूर्त :
बसंत पंचमी का त्योहार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। पंचांग गणना के अनुसार पंचमी तिथि बुधवार को ही दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर लग गया है। जो कि 26 जनवरी यानी गुरुवार की दोपहर तक रहेगा। ऐसे में उदया तिथि में ही गुरुवार को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त गुरुवार को सुबह 07 बजकर 12 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में मां सरस्वती की पूजा सबसे उत्तम रहेगा।