परवेज अख्तर/सिवान: जिले के गुठनी प्रखंड के करदासपुर में चल रहे शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति रविवार को हवन पूजा के साथ हो गई। अंतिम दिन हवन पूजा एवं यज्ञ मंडप की परिक्रमा के लिए काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चारण एवं जयकार से पूरा वातावरण गूंज उठा। यज्ञाचार्य रंजीत नाथ तिवारी ने बताया कि यज्ञ एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। यज्ञ में तिल, जौ, चावल, गुड़ और घी के हवन से वातावरण शुद्ध होता है। साथ ही पुराणों में ऐसा वर्णन है कि हवन से देवताओं को भोजन मिलता है, जब देवता पुष्ट और बलिष्ट रहते हैं तब संसार के सभी जीवों को सहयोग करते हैं।
हमारे सत्य सनातन धर्म में पंचतत्वों की भी पूजा देव स्वरूप में की जाती है। उन्होंने कहा कि मिट्टी, जल, अग्नि, आकाश और हवा ये सभी देवता हैँ। यज्ञ के माध्यम से इन्हें शुद्ध करने का प्रयास किया जाता है। वहीं कथा प्रवचन व रासलीला, रामलीला के माध्यम से समस्त मानव को परमात्मा को जोड़ने का प्रयास करते हैं। इस मौके पर अनूप पांडेय, प्रमोद द्विवेदी, पंडित राजेंद्र तिवारी, दिनेश पांडेय, यजमान बांका यादव, गोरख यादव समेत काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।