पारंपरिक होली गीतों पर देर रात तक झूमते रहे श्रोता
परवेज अख्तर/सिवान: शहर के रामदेव नगर स्थित रामचंद्र सिंह के आवास पर 27 फरवरी की शाम बसंतोत्सव मनाया गया। इस मौके पर बसंतोत्सव एवं होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर ग्रामीण क्षेत्र से आए लोगों ने होली की पारंपरिक गीत प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस मौके पर अपनी उद्गार व्यक्त करते हुए डा. सुशीला सिंह ने हा कि मैं मशहूर हूं या नहीं लेकिन आपकी यादों में हूं, यही काफी है। वहीं संजय सिंह- अपनी होली गीत “जलालपुर के नर लोग बनेला फागुन में नारी ” प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं सुरेंद्र तिवारी ने “बुढ़वा बउराला फगुनवे ” ने प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। इस दौरान वयोवृद्ध कवि ओमप्रकाश नारायण ने अपनी गीतों से बसंतोत्सव का स्वागत किया।
वहीं प्रो. रामचंद्र सिंह की प्रस्तुति ” बसंत नहीं मिले कंत, निष्फल है जीवन का अंत ” पर लोग होली की मदमस्त में झूमते रहे। वहीं कवयित्री विनोदिनी ने भी अपनी मधुर गीत से उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। इसके अलावा कलाकारों ने- अइले फागुन मस्त झमाझम खेलो होली…, बंगला में उड़ेला अबीर हो लाला…, जोगिन संग लिए शिवशंकर खेलत फाग व मीरा के प्रभु गिरिधर नागर…., राम खेले होली लक्ष्मण खेले होली, लंका गढ़ में….. आदि गीतों पर श्रोता देर रात तक झूमते रहे। इस दौरान उपस्थित लोगों ने बसंतोत्सव व होली की परंपरा को जीवंत बनाए रखने के लिए प्रो. रामचंद्र के प्रयास व योगदानों को काफी प्रशंसा की। इस मौके पर अधिवक्ता सुभाष्कर पांडेय, मनन ओझा, नागेंद्र राय, ब्रजमोहन रस्तोगी, राजमंगल पांडेय, प्रो. एसरार अहमद, प्रो. रवींद्रनाथ पाठक, प्रो. अशोक प्रियंवद, डा. रवि कुमार समेत काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।