परवेज अख्तर/सिवान: टीबी उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न स्तर पर तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी क्रम में अब टीबी रोगी के संपर्क में आने वाले परिवार के लोगों की भी स्क्रीनिंग करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में अपर निदेशक सह राज्य यक्ष्मा पदाधिकारी ने पत्र के माध्यम से सिविल सर्जन व जिला यक्ष्मा पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिया है।
दिए गए निर्देश में बताया गया है कि जिले के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर 14 मार्च को आयोजित होने वाले स्वास्थ्य मेला में टीबी के मरीजों की स्क्रीनिंग की जाएगी। साथ ही मासिक हेल्थ मेला में टीबी जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन सुनिश्चित की जाएगी। इस दौरान पिछले पांच वर्षों से टीबी से पीड़ित रोगियों, वर्तमान में टीबी का उपचार ले रहे रोगियों के संपर्क में रहने वाले परिवार के सदस्यों की टीबी की स्क्रीनिंग की जाएगी। इसके साथ हीं सम्पुष्ट कोविड संक्रमण पीड़ित व्यक्तियों में टीबी की जांच की जाएगी।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की निक्षय पोर्टल पर होगी मैपिंग :
जिला स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से टीबी के मरीजों को उनके घर के निकट दवा की उपलब्धता, उपचार समर्थन एवं टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट आदि सेवाएं प्रदान की जानी है। इसके लिए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का निक्षय पोर्टल पर मैपिंग अति आवश्यक है। जिले में सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की निक्षय पोर्टल पर मैपिंग की जाएगी। वहीं डायलिसिस अथवा इम्युनो सप्रेसेन्ट ट्रीटमेंट ले रहे व्यक्तियों, खांसी, दमा, एवं श्वसन तंत्र के अन्य पुराने रोगियों और कुपोषित बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग हेल्थ मेला के दौरान की जाएगी।
टीबी मरीजों की ससमय पहचान व गुणवत्तापूर्ण निशुल्क इलाज :
सिविल सर्जन डा. अनिल कुमार भट्ट ने कहा कि टीबी उन्मूलन की दिशा में भी मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। टीबी मरीजों की ससमय पहचान करने एवं उन्हें गुणवत्तापूर्ण निःशुल्क इलाज प्रदान करने के लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध हैं। इसके साथ ही टीबी पीड़ित मरीज को उनके इलाज के दौरान प्रति माह भारत सरकार की तरफ से 500 रुपए की पोषण राशि भी उनके बैंक अकाउंट में भेज दी जा रही है।