परवेज अख्तर/सिवान: जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डायट में कला की शिक्षा एवं शिक्षा में कला विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का मंगलवार को शुभारंभ हुआ। तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में देशभर के कला आधारित शिक्षा के विषय वस्तु विशेषज्ञ, कलाकार एवं शोधार्थी शामिल हुए। कार्यशाला में कला को जोड़कर शिक्षा में कैसे आमूलचूल परिवर्तन किया जा सकता है एवं विभिन्न कला गतिविधियों की शिक्षा में क्या उपयोगिता है। विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए एनसीआरटी की विभागाध्यक्ष प्रो. पवन सुधीर ने कहा कि कला व्यक्ति के सवेगात्मक , क्रियात्मक एवं संज्ञानात्मक पक्ष को प्रभावित करता है। इसको कक्षाओं तक लेकर जाना है।
कार्यशाला के स्वागत संबोधन में प्राचार्य राहुल पटेल ने बताया की यह तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला अपने आप में अनूठा इसलिए है क्योंकि इसमें शिक्षाविद्, भविष्य के शिक्षक, वर्तमान शिक्षक, शिक्षक प्रशिक्षक, शोधार्थी एवं कला के क्षेत्र के विशिष्ट अतिथि भाग ले रहे हैं। नारायण महाविद्यालय गोरेयाकोठी के प्राचार्य प्रेर्मेंद्र रंजन ने कहा कि कला और विज्ञान का अन्योनाश्रय संबंध है। विश्व के बहुत महान वैज्ञानिक कलाकार भी रहे हैं। इस कार्यशाला में बिहार के कई शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान के कला एवं शिल्प के व्याख्याता भी सम्मिलित हुए। इस कार्यशाला का मुख्य आकर्षण इसकी रंगोली, राज्यों की प्रदर्शनी, शिक्षण अधिगम सामग्री की प्रदर्शनी एवं मधुबनी, मंजूषा और मंडल आर्ट की पेंटिंग्स भी शामिल की गई थी।