परवेज अख्तर/सिवान: शहर के महादेवा स्थित एक सभागार में शुक्रवार को शिक्षाविद स्वतंत्रता सेनानी व राष्ट्रभक्त महेंद्र कुमार के जन्मशताब्दी के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। समारोह का उद्धाटन प्रज्ञा प्रवाह के उत्तर पूर्व संयुक्त क्षेत्र बिहार एवं उत्तर प्रदेश के संयोजक रामाशीष सिंह, प्रो. रवींद्र नाथ पाठक, डा. विनय कुमार सिंह, रमेंद्र राय, सुनील सिंह, डा. अमित कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर “भारतीय समाज संस्कृति और शिक्षा” विषय पर प्रकाश डालते हुए रामाशीष सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति तमसो मां ज्योतिर्गमय की रही है। भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम अर्थात सारा विश्व एक परिवार है की रही है।
उन्होंने कहा कि विश्व के कई देश भारत की संस्कृति का अनुशरण कर करना प्रारंभ कर चुके हैं। पाश्चात संस्कृति हिंसा को बढ़ाने वाली है जबकि भारतीय संस्कृूति मां-बाप, वृद्धजनों एवं गुरुजनों का संभाव करना सिखाती है। उन्हें महेंद्र कुमार के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महेंद्र बाबू का व्यक्तित्व अनुरकरणीय रहा है।। वे स्वतंत्रता सेनानी, कई विद्यालयों के संस्थापक प्राचार्य, पत्रकार तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार के रूप में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। प्रो. शैलेंद्र श्रीवास्तव, विभाग प्रचारक रौशन सना, डा. अमीश कुमार, कौशलेंद्र प्रताप, नवीन सिंह परमान, अशोक प्रियवंद आदि ने संबोधित किया।