परवेज अख्तर/सिवान: जिले के आंदर प्रखंड के बरवां गांव में चल रहे यज्ञ संरक्षक काशीदास त्यागी महाराज व यज्ञाचार्य अरविंद मिश्रा के सानिध्य में चल रहे 11 दिवसीय रुद्र महायज्ञ में पूजा व यज्ञ मंडप की परिक्रमा के लिए प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही। इस दौरान कलाकारों द्वारा रामलीला एवं रासलीला का भी मंचन कर भगवान की लीलाओं को श्रद्धालुओं के भी बीच दर्शाया जा रहा है। रविवार की रात कलाकारों ने अहिल्या उद्धार व फुलवारी लीला का मंचन कर खूब वाहवाही लूटी। कथावाचक हेमंत शास्त्री ने कहा कि राजा दशरथ का निमंत्रण पाने के बाद गुरु विश्वामित्र प्रभु राम व लक्ष्मण को लेकर जनकपुर जाते हैं। रास्ते में बड़ा पत्थर को देख वे गुरुजी से पूछते हैं। गुरुजी बताते हैं कि ऋषि गौतम के शाप से अहिल्या पत्थर बन गई है। इसके बाद भगवान राम अपने पैर से पत्थर को स्पर्श कर देते हैं। पैर से स्पर्श होते ही पत्थर नारी बन जाती है और भगवान को नमन करती है।
इसके बाद गुरु भगवान राम व लक्ष्मण को लेकर जनकपुर पहुंचते हैं। भगवान राम रात्रि विश्राम के बाद सुबह होने पर गुरुजी की पूजा के लिए फुल लेने फुलवारी में जाते हैं। यह वाटिका महाराज जनक की दुलारी बेटी सीता की थी। सीता अपनी सखियों के साथ वहां पर आती हैं। एक सखी की नजर राम-लक्ष्मण पर पड़ती है। वह राम-लक्ष्मण के बारे में सीता से बताती है फिर सीता की निगाहें प्रभु राम पर पड़ती है। मन ही मन सीता का राम से विवाह करने की अभिलाषा जागृत होती है और सीता मां गौरी से राम की धर्मपत्नी बनाने की कामना करती है। रामलीला के मंचन का लोगों ने पूरी रात आनंद लिया। इस मौके पर प्रेमदास महाराज, राममनोहर पाठक, सुरेंद्र पाठक, ददन पाठक, अभिषेक पाठक, जज पाठक समेत काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।