✍️परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ:
लोक आस्था का महापर्व चैती छठ पर्व के तीसरे दिन सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए शहर के नदी घाटों पर व्रतियों भीड़ उमड़ी। इस दौरान व्रतियों ने भगवान भास्कर को संध्या अर्घ्य देकर संतान की मंगल कामना की। वहीं, महिलाओं द्वारा गाए जा रहे छठ गीतों से सभी नदी घाट गूंजते रहे। जिला मुख्यालय स्थित दाहा नदी पुलवा घाट, शनि मंदिर घाट, श्रीनगर-कंधवारा घाट, महोद्दीनपुर छठ घाट, गांधी मैदान छठ घाट, मालवीय नगर छठ घाट, महादेवा छठ घाट सहित सभी प्रखंडों में छठ घाटों पर व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। इन जगहों पर गर्मी के बावजूद लोगों में उत्साह देखने को मिला। दोपहर बाद से ही भीड़ उमड़ने लगी थी। व्रती महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजी-धजी अपने सिर पर बांस की टोकरी में फल, मिठाई, मेवा तथा पूजन का अन्य सामान लिए लोकगीत गाते हुए सरोवर तट पर पहुंचने लगीं थी। वहीं कई लोगों ने तो घरों की छतों पर अस्थाई तालाब बनाकर अर्घ्य दिया। पहला अर्घ्य देकर श्रद्धालु घरों को लौट गए। रात में घरों में कोसी भरने का काम किया गया। मंगलवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ व्रत का समापन होगा।
छठ गीतों से वातावरण हुआ भक्तिमय :
अर्घ्य के दौरान व्रतियों द्वारा गाए गए केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेड़राय…, कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…, सेविले चरण तोहार हे छठी मइया, महिमा तोहर अपार…, उगु सुरुज देव भइले अरग के बेर… आदि गीतों से नदी घाट गूंजते रहे। अर्घ्य देने के साथ ही छठी मइया की स्तुति करने हुए अनेक श्रद्धालुओं ने मनौतियां मांगीं। जिन श्रद्धालुओं की कोई मनौती पूरी हो चुकी, उन्होंने छठ मइया की आराधना करते हुए परिवार और समाज में सुख-शांति के लिए प्रार्थना की।