परवेज अख्तर/सिवान: जिले के सिसवन प्रखंड में आम के पेड़ों पर इस वर्ष काफी मंजर आएं थे और फलन की काफी उम्मीदें थीं, लेकिन बिगड़े मौसम एवं रोग लगने के कारण सारे मंजर सूख गए जिससे किसान मायूस है, इस वर्ष आम के पौधे मंजर से लद आए हैं। मंजरियों में अब सरसों दाने के बराबर टिकोले भी लदने लगे हैं। बहुतायत में निकल रहे टिकोले को देख लोग जितना ही हर्षित थे अब वे उतने ही चिंतित नजर आ रहे हैं। चिंता का विषय यह है कि कतिपय हानिकारक कीटों तथा रोग-व्याधियों का आक्रमण शुरू हो गया है और सारे मंजर सूख गए हैं। मंजरों पर हानिकारक कीट के रूप में मधुआ (मैंगो होपर) तथा दहिया कीट का व्यापक रूप से आक्रमण होने लगा है। कीटों के आक्रमण के कारण मंजर सूखकर गिर रहे हैं। लिहाजा फलन भी कम होने की संभावना व्यक्त की जाने लगी है। कचनार निवासी गौरीशंकर उपाध्याय, संजय भगत, परशुराम भगत, अजीत उपाध्याय सहित दर्जनों लोगों का कहना है कि इस वर्ष भारी मात्रा में आम के मंजर लगे थे एवं महुआ रोग भी तेजी से पकड़ रहा है।
बचाव के लिए दवा छिड़काव किया जा रहा है। किसानों का कहना था कि इस वर्ष आम पर लगे मंजर देख कर लगता था कि इस वर्ष आम का पैदावार अच्छी होगा, लेकिन मौसम की खराबी एवं हल्की वर्षा के कारण मंजर में रोग लगने से सारे मंजर गिर गए हैं। कनीय पौधा संरक्षण पदाधिकारी दीपक कुमार का कहना है कि रासायनिक विधि में कीटों से सुरक्षा के लिए मंजरों के प्रस्फुटित होने के पूर्व तो पहला कीटनाशी का छिड़काव जरूरी ही होता है। दूसरा छिड़काव जब फल सरसों के दाने के बराबर होने लगे तब किया जाता है। इस छिड़काव करने के क्रम में कीटनाशी रसायन को घोल में घुलनशील गंधक की तीन ग्राम मात्रा प्रति लीटर घोल में मिलाकर एवं साल में प्लानोफिक्स नामक हारमोन की चार मिलीमीटर मात्रा को प्रति 10 लीटर संपूर्ण घोल की मात्रा की दर को मिला कर दिया जाता है। तीसरा छिड़काव जब आम के फलों का आकर मटर के दाने के बराबर हो जाते तो फिर प्लानोफिक्स का छिड़काव मात्रा में करते हैं।