परवेज अख्तर/सिवान: युवा अधिवक्ता पशुपतिनाथ सिंह के असामयिक निधन की सूचना मिलते ही बुधवार को कोर्ट परिसर में शोक की लहर दौड़ गई। अधिवक्ता पशुपतिनाथ सिंह काफी परिश्रमी थे तथा अपने परिश्रम के बल से अर्श से फर्श तक पहुंचे थे। वह वरीय अधिवक्ता अरुण बाबू के सानिध्य में रहकर वकालत करना आरंभ किया, काफी परिश्रम किए तथा विपरीत परिस्थितियों में अपने परिवार को लेकर चले तथा एक सफल मुकाम कायम किया। दीवानी और फौजदारी दोनों मुकदमों में बराबर काम करते थे और अदालत भी उनके कार्य से प्रभावित होकर उनका सम्मान करती थी। सभी के बीच उनका सम्मान था।
वह विगत कुछ समय सहृदय की जुड़ी समस्याओं से परेशान थे और समुचित इलाज हेतु दिल्ली गए थे। संजीवनी चिकित्सालय में उनका इलाज हुआ जहां चिकित्सकों ने हर्ट में ब्लाकेज को लेकर आपरेशन ही अंतिम निदान बताया।उनकी याद में संघ अध्यक्ष शंभू दत्त शुक्ला की उपस्थिति में शोक सभा आयोजित की गई। संघ भवन में अधिवक्ताओं की सैकड़ों की संख्या में उपस्थिति थी। संघ अध्यक्ष ने कहा कि वे सबके प्रिय थे अपनी परिश्रम से मुकाम हासिल किया था। किंतु उनका इस तरह से चला जाना काफी कष्टप्रद है। संघ सचिव ने भी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। दो मिनट मौन रखने के पश्चात सभा समाप्त हो गई। परंपरा का निर्वहन करते हुए अधिवक्ताओं ने अपने को न्यायिक कार्य से अलग रखा।