परवेज अख्तर/सिवान: जिले के लकड़ी नबीगंज प्रखंड के खवासपुर गंडक नहर के बांध में गुरुवार को हुए सुराख से आसपास व गांव के निचले हिस्से में अचानक बढ़े पानी ने लोगों में बाढ़ आने की स्थिति को दर्शा दिया. हालांकि प्रशासन की मुस्तैदी से गुरुवार की रात लगभग 8 बजे तक सुराख से गांव की तरफ बढ़ रहे पानी को रोक दिया गया. गंडक विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर बोरे में बालू व मिट्टी भरकर बांध में बने सुराख को भरने का कार्य शुरू हुआ. काफी मशक्कत के बाद सुराख से हो रहे पानी के बहाव में थोड़ी नरमी आई. उसके बाद जेसीबी व ट्रैक्टर की मदद से मिट्टी गिराया जाने लगा. गुरुवार की रात से पानी का बहाव बंद होने के बाद भी शुक्रवार की सुबह तक गंडक एसडीओ बृजेश कुमार के नेतृत्व में काम जारी रहा.
एसडीओ ने बताया कि जब तक आवागमन का मार्ग सही नहीं हो जाता तब तक हम लोगों का कैंप लगा रहेगा. गंडक एसडीओ से बांध टूटने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर बताया गया कि लोमड़ी व साहिल या चुहे बांध के अंदर अपना ठिकाना बनाये थे. जिससे पानी का रिसाव होना शुरू हो गया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि साहिल लोमड़ी या चूहे द्वारा बांध में सुराख करने से बांध की स्थिति इस तरह हुई है. हालांकि चूहे का सुराख ऊपर नीचे होता है, अन्य जानवरों का बनाया हुआ सुराख नीचे के तरफ सीधा होता है. उन्होंने बताया कि 13 जून को कम मात्रा में पानी छोड़ा गया.
14 जून को पानी बढ़ने से रात्रि में धीरे-धीरे बांध में जगह बनने लगा और लगभग 4:00 बजे सुबह में पानी नहर के बाहर निकलने लगा. गुरुवार को 7 बजे सुबह में मुझे सूचना मिलने पर पहुंच कर देखा कि तीव्र गति से बांध में सुराख बनते जा रहा है और पानी का बहाव भी तेज हो गया है. अथक प्रयास के बाद बांस का जाली बनाकर लगाया गया, तत्पश्चात बोरे में मिट्टी बालू भरकर गिराया जाने लगा. जिससे पानी का बहाव कम हुआ है.