कूड़ा कचरा एवं पशु-पक्षियों के कटे गए अवशेष फेंकने का बना केंद्र
परवेज अख्तर/सिवान: जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड क्षेत्र से होकर गुजरने वाली धमई नदी कभी क्षेत्र की जीवन दायिनी के नाम से जानी जाती थी। आज वह अतिक्रमण एवं कूड़ा फेंकने का केंद्र बन कर रह गई है। खुद को प्यासी इस नदी को वर्षों से किसी उद्धारक की तलाश है। अब तो इस पवित्र नदी में कूड़ा फेंकने के साथ-साथ मुर्गा, बकरे के कटे अवशेषों को फेंका जा रहा है। मुख्यालय में नदी किनारे करीब आधा दर्जन से अधिक मांस की दुकानें हैं। चीक काटे गए मुर्गा अथवा बकरे का मल मूत्र, पंख, चर्बी सहित अन्य अवशेष नदी के किनारे फेंक देते हैं इससे गंदगी का अंबार लग जाता है। वहीं इससे निकलने वाली बदबू से धमई नदी पुल पार कर आने जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
साथ ही बीमारी फैलने की आशंका से लोग चिंतित हैं। बताते हैं कि दशकों पूर्व इस नदी का पानी बिल्कुल निर्मल था। इसमें लोग स्नान करते थे, इसके जल से पूजा के अलावा मवेशियों को पिलाने, कृषि व सिंचाई के रूप में उपयोग किया जाता था, लेकिन अब इसका दायरा एक नाला के रूप में सिमट कर रह गया है। वैसे यह नदी मौसमी है। इसमें बरसात के दिनों में सर्वाधिक पानी रहता है लेकिन अब लोगों की उदासीनता के कारण इसका जल इतना दूषित हो गया। मनुष्य को कौन कहे जानवर भी पानी पीने से परहेज करने लगे हैं। गंदगी एवं अतिक्रमण के कारण इसकी पहचान समाप्ति के कगार पर पहुंच गई है। इसके कायाकल्प के लिए स्थानीय लोगों द्वारा छठ पूजा के अवसर पर अभियान चलाकर कुछ साफ सफाई की जाती है, लेकिन इस नदी को बचाने के लिए सरकार या प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाता।
इससे लोगों में नाराजगी है। डा. उमाशंकर साहू, श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि धमई नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार अथवा प्रतिनिधियों ने अब तक कोई प्रयास नहीं कर यह साबित कर दिया है कि क्षेत्र की गंगा के नाम से जाने जाने वाली धमई नदी की दशा सुधारने में उनकी कोई रुचि नही है। इस संबंध में एसडीओ संजय कुमार ने बताया कि किसी भी स्थिति में नदी में कूड़ा अथवा अन्य किसी प्रकार की गंदगी फेंकना अपराध है। इस मामले में सीओ को निर्देश दिया जाएगा कि नदी बचाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर जांच कर आवश्यक कार्रवाई करें।