परवेज अख्तर/सिवान: दारौंदा राज्य शिक्षा परियोजना के निदेशक के आलोक में विद्यालय में पौधारोपण की गतिविधियां संचालित करने का दिशा-निर्देश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन एक विश्वस्तरीय समस्या है तथा इसके दुष्प्रभावों को हम सभी द्वारा महसूस भी किया जा रहा है। पौधारोपण द्वारा जल एवं पर्यावरण संरक्षण करके जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। चूंकि अब वर्षा ऋतु प्रारंभ है, इसलिए विद्यालय स्तर पर जल संरक्षण, बाढ़ से बचाव तथा स्वच्छ पर्यावरण विषय पर विभिन्न गतिविधियों के आयोजन के माध्यम से छात्र-छात्राओं के साथ-साथ समुदाय को इन विषयों के प्रति जागरूक किया जाना आवश्यक है। इस संबंध बीईओ शिवजी महतो ने बताया कि विद्यालयों में निम्नांकित गतिविधियां संचालित की जाए इसमें मुख्य रूप से विद्यालय स्तर पर यूथ एवं इको क्लब के सहयोग से जल संरक्षण एवं स्वच्छ पर्यावरण में पेड-पौधों की भूमिका से संबंधित गतिविधियां जैसे पेंटिंग, भाषण, क्विज एवं नारा लेखन प्रतियोगिता का आयोजन सप्ताह में कम से कम दो दिन (शनिवार एवं बुधवार) कराई जाए।
ये गतिविधियां जुलाई एवं अगस्त माह में सतत् रूप में संचालित होगी, स्थानीय पर्यावरणविद अथवा जल संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के लिए कार्य करने वाले व्यक्ति या संस्थानों के प्रतिनिधि को विद्यालय में आमंत्रित कर बच्चों के साथ प्लास्टिक का उपयोग कम किए जाने तथा पौधारोपण के महत्व इत्यादि विषय पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जाए, सभी विद्यालयों में जमीन की उपलब्धता के अनुसार अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाए जाएं तथा उनकी देखभाल सुनिश्चित की जाए, पौधे के बगल में पौधा लगाने वाले के नाम, जैसे- बच्चे, शिक्षक, बाल संसद इको क्लब आदि की सख्ती लगाई जाए, पौधों को शिक्षक/विद्यार्थी, अभिभावक द्वारा गोद लेने की कार्रवाई की जा सकती है, ताकि उनके साथ भावनात्मक लगाव उत्पन्न कर उनकी समुचित देखभाल हो। विद्यालय के पोषण वाटिका (यदि हो तो) में मौसमी सब्जियां जैसे लौकी, मिठी तरोई, रोम आदि बोई जाए तथा पांधी के आगे उनके नाम की सख्ती लगाई जाए, इको क्लब एवं बाल संसद के बच्चों को उनकी देखभाल की जिम्मेवारी दी जाए, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से समन्वय स्थापित कर विद्यालयों में समाए जाने के लिए पौधे एवं बीज प्राप्त किया जाए।
यह प्रयास किया जाय कि पौधों के रूप में फलदार इमारती औषधि गुण वाले पौधे, स्थानीय उपलब्धता एवं आवश्यकता के अनुरूप लगाया जाए। संबंधित विभागों के पदाधिकारियों के साथ आहूत करने का अनुरोध किया जाए तथा इस बैठक में विद्यालयों में पौधारोपण कराने की रणनीति तैयार की जाए, विद्यालय परिसर में जमीन के उपलब्धता के अनुसार पौधे लगाए जाएं तथा बागवानी कराई जाए अथवा स्थान की अनुपलब्धता की स्थिति में गमले में उपयुक्त पौधे लगाए जाएं। यह प्रयास किया जाय कि बच्चों अभिभावकों व शिक्षकों की सहायता से पौधे लगाकर विद्यालय परिसर का सौंदर्यीकरण किया जाए। जिन विद्यालय में चारदीवारी नहीं है, वहां पेड़-पौधों से चारदीवारी बनाई जाए। चेतना सत्र अथवा विशेष कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों द्वारा जलवायु परिवर्तन संबंधी जानकारी दी जाए।