जीरादेई: बलिदानी उमाकांत बाबू का बलिदान दिवस आज, तैयारी पूरी

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परवेज अख्तर/सिवान: जिले के जीरादेई प्रखंड के नरेंद्रपुर में शुक्रवार को बलिदानी उमाकांत बाबू का शहादत दिवस मनाया जाएगा। इसको लेकर उनके स्वजनों एवं ग्रामीणों द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है। इस मौके पर माल्यार्पण समेत अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बताया जाता है कि नरेंद्रपुर निवासी रामकुमार सिंह एवं माता अमोला देवी के तृतीय संतान उमाकांत सिंह 19 वर्ष की आयु में 11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराकर अपनी अटूट संकल्प व साहस का परिचय देते हुए शहादत दी। शहीद उमाकांत सिंह का नाम बिहार के सात शहीदों की सूची में सबसे प्रथम है। उनके इस बलिदान से जिले का नाम इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों से अंकित है। शहीद उमाकांत सिंह गणतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डा. राजेंद्र प्रसाद के पड़ोसी गांव नरेंद्रपुर के लाल थे।

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वे राममनोहर राय सेमिनरी स्कूल के छात्र थे। 11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय के समक्ष दस हजार की भीड़ के बीच छात्रों ने सचिवालय पर तिरंगा झंडा फहराने का संकल्प लिया था। सचिवालय पर झंडा फहराने के दौरान सात छात्रों को पुलिस ने गोली मारकर मौत की नींद सुला दी। उमाकांत प्रसाद सिंह (रमण जी) आखिरकार पटना सचिवालय पर तिरंगा फहरा ही दिए तथा अपनी राष्ट्रभक्ति का परिचय देते हुए बलिदान हो गए। उमाकांत सिंह को चंद्रकीर्ति सिंह नामक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी तथा बलिदान होने के दो माह बाद एक पुत्री हुई, जिसका नाम चंदा सिंह था।

उनकी पत्नी का नाम पतिराज देवी था। वे 19 वर्ष ही जीवित रह पाए, लेकिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर कीर्ति पा लिए। नरेंद्रपुर के ग्रामीणों का कहना है कि युवा बलिदानी उमाकांत बाबू को 11 अगस्त के बलिदान दिवस पर गांव में स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने कोई सरकारी पदाधिकारी नहीं आता हैं। यहां प्रशासन द्वारा कोई कार्यक्रम आयाेजित नहीं किया जाता है। वहीं उमाकांत सिंह के पोता प्रसून सिंह ने कहा कि उनके दादा की शहादत देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बना, फिर भी उनकी प्रतिमा जिला मुख्यालय या प्रखंड कार्यालय परिसर में नहीं है।