दारौंदा: भाई- बहन का अटूट प्रेम व विश्वास का प्रतीक है भैया बहिनी मंदिर

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परवेज अख्तर/सिवान: जिले के दारौंदा प्रखंड के भीखाबांध स्थित ऐतिहासिक भैया-बहिनी मंदिर भाई- बहन के अटूट प्रेम एवं विश्वास का प्रतीक हैं। यह मंदिर प्रखंड मुख्यालय से करीब आठ किलोमीटर उत्तर तथा महाराजगंज अनुमंडल से तीन किलोमीटर पूरब सिवान-पैगंबरपुर पथ के किनारे स्थित है। इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताया जाता है कि मुगल शासक काल में एक भाई अपनी बहन को रक्षाबंधन के दो दिन पूर्व डोली से भभुआ जा रहा था। इस क्रम में भीखाबांध गांव के समीप सिपाही गश्त कर रहे थे। उसकी बहन की सुंदरता देखकर उनके मन में दुर्व्यवहार की भावना जगी। सिपाहियों ने डोली को रोक कर उसकी बहन के साथ दुर्व्यवहार करने का प्रयास करने लगे। इस पर भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए सिपाहियों से उलझ गया। बहन अपने आप को असहाय महसूस करते हुए भगवान को याद किया। उसी समय धरती फटी और दोनों भाई-बहन उसी में समा गए तथा डोली उठा रहे कुम्हारों ने वहीं कुएं में कूद कर जान दे दी थी।

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कुछ दिनों बाद यहां एक ही स्थल पर दो वट वृक्ष हुआ जो देखते ही देखते कई बीघा जमीन पर फैल गया। वृक्ष ऐसे दिखाई देता है कि भाई-अपने बहन को एक दूसरे की सुरक्षा कर रहे हों। इस सड़क से जाने वाले लोग उस वृक्ष को सबसे पहले पूजा अर्चना करते थे। पूजा अर्चना करने से लोगों की मनोकामना पूरी होने लगी। धीरे- धीरे इस स्थान पर दो पिंड आकार की भाई-बहन के प्रेम का रूप मान पूजा अर्चना होने लगी। धीरे- धीरे लोगों का विश्वास बढ़ता गया। ग्रामीणों ने यहां एक मंदिर का निर्माण कराया। भाई- बहन सोनार जाति के होने के कारण सबसे पहले सोनार जाति के लोगों द्वारा पूजा अर्चना की जाती हैं। प्रत्येक वर्ष रक्षा बंधन के एक दिन पहले पूजा अर्चना होती हैं। महाराजगंज, भीखाबांध, तक्कीपुर, रामगढ़ा, बालबंगरा, रगड़गंज समेत कई गांवों के लोग यहां पूजा अर्चना करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यहां अतिक्रमण के कारण वट वृक्ष कुछ कट्ठा में सिमट गया है। इसी परिसर में पंचायत भवन, निजी विद्यालयों, बथान, दुकान, घर आदि निर्माण हो गया है।