परवेज अख्तर/सिवान: मैरवा मेवाड़ को सुलतान बहादुर शाह से बचाने के लिए चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी थी। कर्णावती ने हुमायूं को भाई माना तो उसने भी राखी की मर्यादा रखने के संकल्प के साथ बहन कर्णावती के मेवाड़ को बचाने निकल पड़ा था। इससे जुड़ी ऐतिहासिक घटना की चर्चा समय समय पर होती रहती है।
कुछ ऐसी ही चर्चा रक्षाबंधन के अवसर पर देखने सुनने को मिली जब डा. जरीना खातून अपने मुंहबोले भाई ओमकिशोर की कलाई पर रेशम के धागों से बने राखी से वर्षों से जुड़े अटूट रिश्ते को मजबूती देने के लिए मझौली रोड की एक दवा दुकान पर पहुंची और दवा व्यवसायी ओम किशोर की कलाई पर राखी बांध साबित कर दिया की भाई बहन के इस त्योहार के बीच धर्म की कोई दीवार नहीं है।
ओम किशोर ने बताया की एक दशक से प्रतिवर्ष वह उन्हें राखी बांधती हैं। यह कोई एक उदाहरण नहीं बल्कि देश में ऐसी बहुत सी बहनें हैं जो दूसरे समुदाय/ धर्म के अपने मुंह बोले भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती और उनके दीर्घायु की कामना करती है। यहीतो हमारे देश की खूबसूरती हुई है।