परवेज अख्तर/सिवान: जिले के विभिन्न क्षेत्रों में शुक्रवार की रात से हो रही रुक-रुक वर्षा से जन जीवन अस्तव्यस्त हो गया है। जहां लोगों ने गर्मी से राहत की सांस ली। शनिवार को अधिकतम 29 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा। इस दौरान लोगों ने ठंड का एहसास किया। शनिवार की सुबह से रुक-रुक कर हो रही वर्षा से जहां लोगों को कार्यालय जाने में परेशानी झेलनी पड़ी तो वहीं दैनिक कार्य करने वालों लोगों का कार्य प्रभावित हुआ। वहीं वर्षा के दौरान कचहरी परिसर में नगर परिषद कार्यालय के समीप एक बड़ा पेड़ गिर गया। इस दौरान अफरा- तफरी मच गई। संयोग रहा कि पेड़ गिरने के वक्त वहां कोई व्यक्ति नहीं था अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
वहीं वर्षा से डीआरडीए कार्यालय, चित्रगुप्त नगर, सब्जी मंडी, स्टेशन रोड, मुखदुम सराय, महादेवा, फतेहपुर बाइपास, बड़हरिया बस स्टैंड, पुराना जेल गेट, शांति वट वृक्ष, थाना रोड, शुक्ल टोली, श्रीनगर आदि जगहों पर जल जमाव व कीचड़ होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके अलावा कई विद्यालय परिसर में जल जमाव होने से शिक्षक व बच्चों को विद्यालय आने में परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके बड़हरिया बीआरसी गेट, बीएसएनएल टावर के समीप जल जमाव होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं भगवानपुर हाट, बसंतपुर, लकड़ी नबीगंज, महाराजगंज, दारौंदा, मैरवा, जीरादेई, आंदर, रघुनाथपुर, गुठनी, तरवारा, सिसवन, हुसैनगंज, हसनपुर आदि प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में जल जमाव व कीचड़ से होने से लोगों परेशानी का सामना पड़ा।
वर्षा से सूख रहे फसलों में आई जान, किसान खुश :
शुक्रवार की रात रुक-रुक कर रही वर्षा से किसान काफी प्रसन्न नजर आए। उनकी धान की खेतों में जल जमाव होने से सूख रहे फसल में जान आ गई। अब उन्हें अच्छा पैदावार होने की उम्मीद जगी है। इसके अलावा उनके मक्का, अरहर सब्जी की फसल में जान आ गई। इस संंबंध में भगवानपुर हाट स्थित कृषि विज्ञान की वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डा. अनुराधा रंजन कुमारी ने बताया कि यह वर्षा सूख रहे धान की फसलों के लिए संजीवनी है, लेकिन वर्षा लगातार एक सप्ताह से अधिक दिनों तक होती रही तो धान के फसल सहित मक्का, अरहर, पवरल, साग-सब्जी की फसल पर विपरीत असर डालेगी। उन्होंने बताया कि अगर लंंबे समय तक स तरह का मौसम बना रहता तो धान के निकल रहे बालियों पर हल्दिया रोग लग जाएगा। अरहर व मक्का के पौधे गिरकर सूख जाएंगे तथा परवल समेत अन्य सब्जियों में गलका रोग पकड़ लेगा। वहीं कृषि वैज्ञानिक डा. नंदिशा सीवी ने बताया कि अगर लंबे समय ऐसा मौसम होता है तो किसान धान की फसल में फूंफूंदी नाशक दवा का छिड़काव जरूर करें।