परवेज अख्तर/सिवान: कृषि विज्ञान केंद्र और फार्मरफेस कृषि विशेषज्ञ संयुक्त रूप से शनिवार को किसानों के धान की फसल में लगे रोगों का जांच की। टीम में शामिल वैज्ञानिक डा. अनुराधा रंजन कुमारी एवं फार्ममरफेस के सीएमडी मोहन मुरारी सिंह ने बताया कि प्रखंड के मीरजुमला, शंकरपुर तथा लकड़ी नवीगंज प्रखंड के भोपतपुर, बाला गांव के किसानों के धान की फसल में लगे बीमारी की जांच की गई है। जांच के दौरान धान की फसल में बैक्ट्रीयल जीवाणु पाए गए हैं जो सर्वाधिक धान के बाली निकलने तथा बाली में दूध बनने के समय यह जीवाणु लगता है। इस कारण धान की बाली में दाना नहीं पकड़ता है।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान धान के फसल में पाया जो एक जीवाणु जनित बीमारी है जिसका सर्वाधिक प्रभाव धान की फसल के फूटने के समय और धान में दूध बनने की अवस्था में होता है जिस कारण धान में दाना नहीं बनता। इस बीमारी के मुख्य कारण अनियमित वर्षा, अधिक आद्रता (70 प्रतिशत से अधिक) के कारण होता है और इसका प्रसार सिंचाई के पानी, तेज हवा और तापमान 25 से 34 डिग्री के बीच होने पर होता है। इससे फसल की 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान होता है। यह बीमारी ज्यादातर शंकर प्रजाति और अधिक नाइट्रोजन के इस्तेमाल वाले खेत में देखने को मिला है। इससे बचाव के लिए उन्होंने किसानों को जैविक रूप से निर्मित नीम आधारित उत्पाद का सुझाव दिया, साथ ही संतुलित उर्वरक का इस्तेमाल करने को बताया। जांच टीम के साथ डा. नंदिशा सीवी, शिवम चौबे आदि उपस्थित थे।