- मुर्गा पर होगी विदा, बुधादित्य योग
- शश राजयोग और भद्र राजयोग में होगी मां भगवती की आराधना
✍️परवेज़ अख्तर/सिवान:
सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है.नौ दिनों तक चलनेवाली अनुष्ठान में भक्त आदिशक्ति जगदम्बा के 9 स्वरूपों की आराधना और पूजा- अर्चना करते हैं.इस बार 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है.इस बार मां भगवती का आगमन हाथी पर हो रहा है.वही प्रस्थान मुर्गा पर हो रहा है.शास्त्र के मुताबिक माता के आगमन व प्रस्थान का वाहन भी महत्व रखता है.पंडित पुरुषोत्तम तिवारी ने बताया कि इन नौ दिनों में मां जगदंबे की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. वहीं इस बार नवरात्रि में कई बड़े बदलाव हो रहे हैं. इस साल की चैत्र नवरात्रि में एक भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है.खास बात यह है कि इन 9 दिनों में कई ऐसे योग बन रहे हैं, जो सर्व फलदायी हैं. मां जगदंबे की सवारी नवरात्रि के प्रारंभ होने वाले दिन पर निर्भर करती है. नवरात्रि का प्रारंभ जिस दिन होता है, उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है.ठीक इसी प्रकार से वह जिस दिन विदा होती हैं, उस दिन के आधार पर प्रस्थान की सवारी तय होती है. रविवार को शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है.दिन के आधार पर इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा का हाथी पर आगमन बेहद शुभ होता है. वही मुर्गे पर मां दुर्गा की विदाई शुभ नहीं मानी जाती. यह प्राकृतिक आपदाओं का संकेत देता है. है.हालांकि मां अपने भक्तों की अहित नही करती है.श्रद्धा पूर्वक आराधना करने से शुभता की प्राप्ति होगी.
तीस साल बाद का बन रहा खास योग
पंचांग के मुताबिक नवरात्रि पर तीन ऐसे दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो बेहद शुभ होंगे. यह योग 30 साल बाद बनने जा रहे हैं. नवरात्रि की शुरुआत सूर्य और बुध द्वारा बनाए गए बुधादित्य योग में होने जा रही है. यह योग बेहद दुलर्भ है. इसके साथ ही नवरात्रि पर दूसरा शश योग और तीसरा भद्र योग भी बन रहे हैं. यह बेहद ही दुर्लभ होने के साथ ही शुभ संयोग हैं.इन योग के प्रभाव से जातकों को धन और यश की प्राप्ति होगी.
तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए खास होती है नवरात्रि
जो साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए नवरात्रि के दिन बेहद खास होते हैं. इनमें साधक देवी के विभिन्न स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की साधना में लीन रहते हैं.वही गृहस्थ साधक जो सांसारिक वस्तुएं, भोग-विलास के साधन, सुख-समृद्धि और निरोगी जीवन पाना चाहते हैं. उन्हें इन नौ दिनों में दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए. यदि इतना समय न हों तो सप्तश्लोकी दुर्गा का प्रतिदिन पाठ करें. देवी को प्रसन्न करने के लिए और साधना की पूर्णता के लिए नौ दिनों में लोभ, क्रोध, मोह, काम-वासना से दूर रहते हुए केवल देवी का ध्यान करना चाहिए. कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें यथाशक्ति दान-दक्षिणा व वस्त्र भेंट करें.
दुर्गा पाठ से होगी कामना की पूर्ति
मां भगवती की पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है.हर पाठ का अपना महत्व है.उसे करने से मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.पंडित अवधकिशोर ओझा ने बताया कि प्रथम पाठ से चिंता मुक्ति,द्वितीय पाठ से शत्रु परास्त,तृतीय पाठ से शत्रु परास्त चतुर्थ पाठ व पंचम से आध्यात्मिक उन्नति,षष्ठ पाठ से बाधा से छुटकारा, सप्तम पाठ से मनोकामना पूर्ति,अष्टम पाठ से परिवारिक शांति,नवम व दशम पाठ से संतान की प्राप्ति,एकादस पाठ से आर्थिक उन्नति, सुख सौभाग्य की प्राप्ति, द्वादश पाठ से मान सम्मान की वृद्धि और त्रयोदश पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है.