परवेज अख्तर/सिवान: जिले के गुठनी छठ पूजा का महत्व पूर्वांचल समेत विश्व के कोने-कोने में बढ़ गया है। इस वर्ष छठ पूजा का अद्भुत संयोग बन रहा है जो संपूर्ण विश्व के लिए काफी फलदायी है। लंबे समय के अंतराल पर ऐसा संयोग मिलता है। प्रसिद्ध भागवत कथा वाचक आचार्य रवि प्रकाश मिश्र ले बताते हैं कि आद्य प्रकृति के छठवें अंश से उत्पन्न होने के कारण इनका नाम षष्ठी देवी या छठ मैया पड़ा है। गायत्री देवी को सहस्त्रनाम में चार नाम से स्मरण किया गया है। सूर्य की मातृ शक्ति गायत्री सावित्री के उपासना का पर्व छठ है, इसे सूर्य षष्ठी भी कहते हैं। इस वर्ष अद्भुत संयोग है। यह संयोग कई वर्षों के बाद आता है।
सूर्य षष्ठी इस वर्ष रविवार को पड़ रहा है। रविवार स्वयं सूर्य का दिन है, साथ है घनिष्ठा नक्षत्र का होना इसके प्रभाव को और बढ़ा देता है। घनिष्ठा के स्वामी मंगल हैं। सूर्य व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य और जीवन के उद्देश्य का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं मंगल शक्ति, उत्तेजना, अभिरुचि, संघर्ष और सफलता के लिए जाना जाता है। जब इन दोनों ग्रह की युति होती है तो व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं। कुंडली में सूर्य-मंगल की युति कुंडली में होने पर जातक अत्यधिक ऊर्जावान और महत्वाकांक्षी बनता है। इस प्रकार इस वर्ष का छठ महापर्व अत्यंंत महत्वपूर्ण व मनोवांछित फलदाई हो गया है।