सिवान: अक्षय नवमी पर आंवला की पूजा कर की गई संतान प्राप्ति व रक्षा की कामना

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परवेज अख्तर/सिवान: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी मंगलवार को शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा कर परिवार की मंगल कामना की। इस दौरान महिलाओं ने मंदिर परिसर में पूजा अर्चना की। व्रती महिलाओं ने बताया कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर खाना खाने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि इस दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा किया जाता है, उसका पुण्य कई जन्म-जन्मांतर तक प्राप्त होता है। इस दौरान व्रतियों ने रामचरित मानस के सातवें स्कंद सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ किया।

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भगवान विष्णु ने किया था कुष्माण्डक दैत्य का अंत :

अक्षय नवमी को आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है। इससे अखंड सौभाग्य, संतान, आरोग्य और सुख शांति की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का आरंभ हुआ था। कहा जाता है कि अक्षय नवमी के दिन हीं भगवान विष्णु ने कूष्मांडक दैत्य को मारा था और उसके रोम से कुष्मांड की बेल हुई। वहीं दूसरी ओर जीरादेई, महाराजगंज, सिसवन, रघुनाथपुर, दारौंदा, पचरूखी, गुठनी, नौतन, दरौली, मैरवा, आंदर, बसंतपुर, भगवानपुर समेत अन्य प्रखंडों में आंवले के वृक्ष पर नारायण की पूजा की गई।