परवेज अख्तर/सिवान: अप्रत्याशित रूप से मौसम में परिवर्तन का दंश निरंतर किसानो को सामना करना पड़ रहा है जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से हमारे दैनिक जीवन पर पड़ता है । जिससे खेती के साथ-साथ पशुपालन आदि पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है । मौसम परिवर्तन को देखते हुए बिहार सरकार द्वारा वित्तीय पोषित परियोजना जल जीवन हरियाली के अंतर्गत जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केंद्र भगवानपुर हाट द्वारा जलवायु के अनुकुल खेती का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ अनुराधा रंजन कुमारी ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत सिवान जिले के चयनित पांच गांव गोरियाकोठी प्रखंड के सैदपुर एवं कालाडुमरा , लकड़ीनवीगंज के भोपतपुर , महराजगंज के सिकटिया प्रखंड महाराजगंज एवं दारौंदा के रामगढ में संचालित है।
जिसमें केंद्र के विषय वस्तु विशेषज्ञ इंजीनियर कृष्ण बहादुर क्षेत्री , कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर हर्षा बी आर, डॉक्टर नंदीश सी बी एवं परियोजना के वरिष्ठ अनुसंधान कर्ता शिवम चौबे के देखरेख में उक्त गांव में फसलों का विभिन्न तकनीकों से प्रदर्शित किया जाता है एवं समय-समय पर किसानों के प्रशिक्षण, किसान गोष्ठी, प्रक्षेत्र भ्रमण पर क्षेत्र दिवस एवं फसल उपज मूल्यांकन भी किया जाता है। जिसमें जिले के कृषि विभाग से संबंधित पदाधिकारी भी समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं। कृषक के क्षेत्र पर गेहूं का फसल 2023- 24 के अंतर्गत 623 एकड़ में लगे आलू,सरसों, मसूर, गेहूं, मक्का आदि फसलों का प्रदर्शन किया गया था जिसमें अभी गेहूं की फसलों का क्रॉप कटिंग किया गया जिसके उपज से किसान खुश है क्योंकि कम लागत और मुनाफा ज्यादा हुआ है, किसान शून्य जुताई विधि द्वारा गेहूं की बुबाई किए थे और 2024 के अंतर्गत 250 एकड़ मे मूंग, सांबा, रागी एवं कागुनी की फसलों को क्षेत्र पर लगाया जा रहा है । जिससे मृदा उर्वरता में भी सुधार होगा और कृषक अतिरिक्त उपज भी प्राप्त करेंगे।