✍️परवेज अख्तर/सिवान: सुहाग की सलामती का व्रत वट सावित्री ज्येष्ठ अमावस्या जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में गुरुवार को मनाया जाएगा। इसको लेकर सुहागिनों ने तैयारी पूरी कर ली है। गुरुवार की अल सुबह से ही सुहागिनें सुबह में स्नान-ध्यान कर सोलह शृंगार कर पारंपरिक परिधान में वट वृक्ष की पूजा करेंगी। वटवृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर व विधि विधानपूर्व पूजा-अर्चना व परिक्रमा कर भगवान से अपनी सुहाग की सलामती के लिए प्रार्थना करेंगी। साथ ही 24 घंटे का निर्जला उपवास भी रखेंगी। आंदर के पड़ेजी निवासी आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि हर सुहागिन महिला अपने सुहाग की रक्षा के लिए ईश्वर से कामना करती है। पति की लंबी आयु की दुआ करने के साथ-साथ उनकी तरक्की के लिए उपवास भी रखती है।
यह उपवास हर सुहागिन महिला के लिए खास होता है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा का खास महत्व है। इसकी पूजा से अखंड सौभाग्य, आरोग्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन बरगद के पेड़ में कलावा बांधने से वैवाहिक जीवन में सदैव सुख शांति बनी रहती है। साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता बनी रहती है। इसके अलावा अकाल मृत्यु जैसे योग टल जाते हैं। बताया कि इस दिन शुभ मुहूर्त, सही पूजा विधि, कथा, आरती व मंत्र के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। वट सावित्री व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। वहीं पूजन सामग्रियों की खरीदारी को लेकर बुधवार को बाजार में लोगों की भीड़ उमड़ी रही।