बेटी रहे मुबारक ससुराल तुझको जाना…… कब्र में लेटे तुम्हारे वालिद बेताब हो रहे हैं……. छुप छुप कर अपना चेहरा अश्कों से धो रहे हैं………
परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ:
करुण चीत्कार भरी घुटन के साथ मरहूम वालिद की आह लेकर सिवान जिले के प्रतापपुर गांव की चौखट को लांघते हुए, परिणय सूत्र में बंधी डॉ. हेरा शहाब जो अपने जीवन साथी डॉ. शादमान के साथ मंगलवार की शाम रुखसत हो गई। जहां एक हीं तरु के दो डाली के पुष्प कहे जाने वाला भाई ओसामा शहाब ने मरहूम पिता डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन का फर्ज निभाया। डॉ. हेरा शहाब के विदाई के समय उपस्थित सभी लोगों के चेहरे पर अस्पष्ट रुप से खुशियां देखी जा रही थी लेकिन सचमुच मानो तो उनके परिवार के सदस्यों के साथ साथ उपस्थित सभी लोग मरहूम पूर्व सांसद डॉ मोहम्मद शहाबुद्दीन के न रहने के कारण अंदर ही अंदर से टूट चुके थे।
सभी लोगों के चेहरे पर कभी खुशी तो कभी मायूसी देखी जा रही थी। विदाई के समय डॉ. हेरा शहाब के चेहरे पर कोई अच्छी खासी सीकन देखने को नहीं मिला। अच्छी खासी सीकन कैसे होगी कि जिसके पिता ने अपनी पुत्री के शादी में कई सपने सयोय लेकिन नियति को यह मंजूर नहीं हो सका। और समय से पहले ही वे काल के गाल में समा गए। डॉ.हेरा शहाब की मां हेना शहाब जो अपनी पुत्री के विदाई के समय कभी खुशी तो कभी गम में अपना समय बिताया।
गम में समय बिताना तो लाज़िम है। अंत में हमारे संवाददाता ने डॉ. हेरा शहाब की मां हेना शहाब की मायूसी पर एक लोकोक्ति को अपने कलम के सांचे में कुछ इस कदर उतारा है कि….कैसे बताऊं…..ये बेटी…..ये दर्द का फंसाना……..पल-पल सता रही है…..तेरा बिछड़ कर जाना……हसरत से तुझको पाला…….खूने जिगर पिलाकर…..हर नाज उठाया तेरा…..हमने तो मुस्कुरा कर……तेरे ही दम से गुलशन…….घर का महक रहा था……आसान नहीं है प्यारी……तुझसे बिछड़ कर रहना……मजबूर है यह सबको रंजोगम को सहना…….रुखसत जो आज तुझको, इस घर से कर रही हूं…….रह रहकर इस दिल पे बादल उतर रहें हैं……… बेटी रहे मुबारक ससुराल तुझको जाना…… कब्र में लेटे तुम्हारे वालिद बेताब हो रहे हैं……. छुप छुप कर अपना चेहरा अश्कों से धो रहे हैं……