पटना: डोरंडा ट्रेजरी घोटाले में दोषी पाए गए लालू प्रसाद के खिलाफ रांची सीबीआई की अदालत ने सजा का ऐलान कर दिया है। कोर्ट ने चारा घोटाले से जुड़े 139 करोड़ के इस गड़बड़ी के मामले में लालू प्रसाद को पांच साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही उन पर 60 लाख का जुर्माना भी कोर्ट ने लगाया है। जिसके बाद अब लगभग एक साल के बाद लालू प्रसाद को एक बार फिर से जेल जाना होगा। लालू प्रसाद एक साल पहले ही चारा घोटाले एक मामले में जमानत पर छूटकर बाहर आए थे।
1990 से 1995 के बीच डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की निकासी की गई थी. करीब 27 साल बाद कोर्ट ने इस घोटाले पर फैसला सुनाया। चारा घोटाले में डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ की निकासी सबसे बड़ा मामला है. आरसी 47ए/96 मामला 1990 से 1995 के बीच का है। सीबीआई ने 1996 में अलग-अलग कोषागारों से गलत ढंग से अलग-अलग राशियों की निकासी को लेकर 53 मुकदमे दर्ज किए थे. ये रुपयों को संदिग्ध रूप से पशुओं और उनके चारे पर खर्च होना बताया गया था।
53 मामलों में से डोरंडा कोषागार का मामला आरसी 47 (ए)/ 96 सबसे बड़ा, जिसमें सर्वाधिक 170 आरोपित शामिल हैं. इसमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है. दीपेश चांडक और आरके दास समेत सात आरोपियों को सीबीआई ने गवाह बनाया. सुशील झा और पीके जायसवाल ने कोर्ट के फैसले से पहले ही खुद को दोषी मान लिया था।
डोरंडा कोषागार मामले में छह नामजद आरोपी फरार हैं. डोरंडा कोषागार मामले में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, डॉ आरके राणा, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, तत्कालीन पशुपालन सचिव बेक जूलियस, पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ केएम प्रसाद सहित 99 आरोपी हैं. आज लालू यादव को दोषी करार दे दिया गया है. वहीं 46 को दोषी मानकर 3 साल की सजा सुनाई गई थी. फिलहाल 73 साल के लालू यादव की तबीयत ठीक नहीं है. सजा सुनाए जाने के बाद लालू को फिर से रिम्स हॉस्टिपल में अपना इलाज करवा रहे हैं।
इससे पहले चारा घोटाले से जुड़े 5 मामलों में से 4 में लालू यादव को सजा मिल चुकी है. चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ के अवैध निकासी में लालू जमानत पर हैं. इसमें उन्हें 5 साल की सज़ा हुई थी. देवघर कोषागार से 79 लाख के अवैध निकासी के घोटले के दूसरे मामले में भी वे जमानत पर हैं. इस मामले में उन्हें साढ़े 3 साल की सज़ा सुनाई गई थी।
लालू यादव को 33.13 करोड़ के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के तीसरे मामले में भी जमानत मिली थी. इस मामले में उन्हें 5 साल की सज़ा हुई थी. दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी के चौथे मामले में उन्ंहे दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सज़ा सुनाई गई थी, लेकिन उसमें भी वे जमानत पर हैं।