पटना: सरकारी बंगला खाली करने के बाद चिराग पासवान आज दिल्ली से पटना लौटे हैं। जहां एयरपोर्ट पर उनके समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान का दर्द छलका। उन्होंने कहा कि मुझे बंगला तो खाली करना ही था, लेकिन सरकार ने घर खाली कराने का जो तरीका अपनाया वो गलत है। मेरे पिता जी के तस्वीरों को फेंक दिया गया।
उन्होंने कहा कि जब अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया तभी पता था कि बहुत सी कठिनाइयां सामने आएगी, लेकिन मुझे अपनी चिंता नहीं है। जो बिहार में ही रहकर प्रवासी कहलाते हैं मुझे उनकी चिंता है। दूसरे प्रदेशों में जाकर जो झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे उनकी चिंता है। मेरी लड़ाई बिहार पर राज करने की नहीं नाज़ करने की है। मुझे संघर्ष की शिक्षा अपने पिता से मिली है।
चिराग पासवान ने कहा कि मैं चिराग हूं, मेरा कोई ठिकाना नहीं है। मैं हर जगह रौशनी फैलाता हुआ। मैंने संघर्ष का रास्ता चुना है। मुझे बंगला और मंत्रालय का लालच नहीं है, अगर होता तो मैं उन शक्तियों के सामने नतमस्तक हो जाता और सारी सुख सुविधाएं भोगता। मुझे व्यक्तिगत तौर पर बड़ी बड़ी शक्तियों के द्वारा बहुत लालच दिया गया लेकिन मैं 21 वीं सदी का पढ़ा-लिखा नौजवान हूं।
मुझे सिर्फ इस बात का दुख है कि जिस तरीके से मुझे घर छोड़ना पड़ा, उस तरीके पर मुझे थोड़ी आपत्ति जरूर है। मेरे पिताजी के समय से ही उनके साथ काम करने वाले करीब 100 लोग यहां रहते हैं। वहां कई लोगों का आश्रय था। मैंने आजीवन 12 जनपथ में रहने के लिए नहीं कहा था। मैंने कभी मोहलत नहीं मांगा, फिर भी एक बड़े मंत्री के द्वारा मुझे बुलाया गया, मुझे आश्वासन दिया। वादा किया गया कि घर के लिए निश्चिन्त रहिये। मैंने ये सब नहीं कहा था।