परवेज अख्तर/सिवान: राज्य में शराबबंदी के बाद सरकार ने जिस उद्देश्य से नशामुक्ति केंद्र की स्थापना की थी, वह पिछले नौ महीने से बंद है। इस केंद्र में कोविड-19 का सैंपल लेने का कार्य किया जा रहा है। नशामुक्ति केंद्र के बंद होने के कारण अब शराब पीने वालों का इलाज नहीं हो रहा है और उन्हें पुलिस गिरफ्तार कर सीधे जेल भेज रही है। इस केंद्र की स्थापना ही नशा से मुक्ति दिलाने के लिए की गई थी। अप्रैल 2016 में केंद्र को जब खोला गया था तब प्रति माह दो से तीन मरीज इलाज को पहुंचते थे। केंद्र हेतु अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर चिकित्सक एवं कर्मी की प्रतिनियुक्ति कर रखा था। केंद्र में इलाजरत मरीजों को खाना, नाश्ता के साथ साथ दवा भी मुफ्त में दिया जाता था। धीरे-धीरे केंद्र में इलाज कराने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी थी। लेकिन कोरोना काल के दौरान इस केंद्र को धीरे धीरे बंद अनौपचारिक रूप से बंद कर दिया गया। जिसका नतीजा है कि पिछले नौ महीने से यहां किसी मरीज का नशा मुक्ति के लिए इलाज ही नहीं हुआ।
बता दें कि सरकार द्वारा अप्रैल 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया गया। इसके साथ ही शराब की बिक्री व पीने वालों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। आदतन शराबियों को शराब छुड़ाने के लिए जिला के सदर अस्पतालों में नशा मुक्ति केंद्र खोला गया। आदतन शराबियों की इलाज की समुचित व्यवस्था की गई। शुरुआती दौर में इलाज के लिए केंद्र पर काफी संख्या में शराबी पहुंचे।
कहते हैं अधिकारी
नशा मुक्ति केंद्र में अभी कोविड-19 संबंधित कार्य हो रहा है। जल्द ही नशा मुक्ति केंद्र को पुरुष वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
डॉ. यदुवंश शर्मा, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल