परवेज अख्तर/सिवान : जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों में रविवार को होने वाली बसंत पंचमी एवं सरस्वती पूजा की तैयारी अंतिम चरण में है। श्रद्धालु सामानों की खरीदारी समेत पूजा पंडाल तथा मां सरस्वती की प्रतिमाओं की सजावट में पूरी रात जुटे रहे। इसको लेकर विशेषकर सरकारी एवं गैरसरकारी शिक्षण संस्थानों में काफी उत्साह देखने को मिला। इसको लेकर बाजारों में काफी चहल-पहल देखी गई। बच्चे पंडाल तथा प्रतिमा समाजवट के लिए बाजारों में फूलपती, मुकुट, वीणा आदि की खरीदारी करने पहुंचे थे इस कारण बाजारों में भीड़ देखी गई। इसके अलावा बाजारों में पूजा सामग्री यथा फल, राशन आदि दुकानों पर सुबह से देर शाम तक लोगों की भीड़ देखने को मिली। वहीं बच्चे मूर्तिकारों के यहां से मां की प्रतिमाओं को विभिन्न साधनों से ले जाते देखे गए। बसंतपुर के नंदजी पड़ित ने बताया कि लगभग दो सौ मूर्तियों का निर्माण किया गया, जिसमें कुछ का अग्रिम भुगतान भी लिया गया है। मूर्तियों की कीमत 5 सौ से 3 हजार तक है,ग्राहक अपनी पसंद की मूर्ति खरीद रहे हैं।
विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रम की चल रही तैयारी
मां सरस्वती पूजा को ले विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी चल रही है। बच्चों द्वारा नृत्य, संगीत एवं नुक्कड़ नाटक आदि प्रस्तुत किए जाएंगे। इसको लेकर मंच का सजावट, बच्चों का पूर्वाभ्यास करीब पूरी कर ली गई है। इसको लेकर बच्चों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।
क्यों होती है सरस्वती पूजा
भगवती सरस्वती की उत्पत्ति माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को होने से हम सब भगवती सरस्वती के पूजन करते हैं। इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन भी माना जाता है जिस कारण नाम बसंत पंचमी भी कहा जाता है। मां का स्वरूप देखने में दूध की तरह श्वेत है, मां की सवारी हंस है, मां मयूर पर भी आरुढ़ होती हैं। मां के एक हाथ में अक्षय माला एवं दंडपाश एक हाथ में पुस्तक, एक हाथ में वीणा एवं एक हाथ में अभय देने वाली वरद हाथ है। मां का आसन श्वेत कमल है। मां के कई नामों से अलंकृत किया जाता है यथा हंस वाहिनी, वीणा पुस्तक धारणी, कमल आसनी,पद्मासनी आदि। मां अपने भक्तों को सदा बुद्धि एवं विद्या देवी है जिससे समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।